सऊदी अरब में पहली बार किसी महिला को मौत की सजा दी जा सकती है। ये महिला एक मानवाधिकार कार्यकर्ता है, जिसका सर कलम करने की तैयारी में सऊदी अरव जुटा हुआ है। इन दिनों तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ता इस महिला को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं।
29 वर्षीय इसरा अल-घोमघम नामक महिला सऊदी अरब की पहली मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जिसे फांसी की सजा सुनाई गई है। इसी महिला कार्यकर्ता को बचाने के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ता दिन रात कैंपेन कर रहे हैं ताकि इसरा की जान बचाई जा सके।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा है कि सऊदी अरब में पहली बार महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता के लिए मौत की सजा मांगी गई है। संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो जल्द ही शासन एक कार्यकर्ता इजरा अल-घोमघम को मौत की सजा पर अमल कर सकता है।
2015 में इसरा और उसके पति को किया गया था गिरफ्तार
दरअसल, इसरा को उनके पति मूसा अल-हाशिम के साथ दिसंबर 2015 में गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों पर अरब क्रांति के बाद ईस्टर्न कातिफ प्रांत में सरकार के विरोध में प्रदर्शन का आयोजन करने का आरोप है।
इसरा को इस कानून के तहत सुनाई गई है सजा
इस माह की शुरुआत में रियाद में एक खास क्रिमिनल कोर्ट की ओर से इसरा समेत पांच और लोगों को मौत की सजा का आदेश सुनाया गया था। इसरा और इन चार लोगों को आतंक-विरोधी कानून के तहत सजा सुनाई गई थी। अब कई कार्यकर्ता इस फैसले को निरस्त करने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
इसरा को मिल सकती है सिर काट कर मारने की सजा
यूरोप-सऊदी मानवाधिकार संगठन के निदेश अली अदुबिसी के मुताबिक, 'अभी इसरा सुरक्षित हैं'। इस मामले में सुनवाई 6 अगस्त को शुरू हुई थी। अगर उन्हें प्रदर्शनों को भड़काने का दोषी पाया जाता है, तो 28 अक्टूबर को उन्हें सिर काटकर मारने की सजा सुनाई जा सकती है। सजा मिलने की सूरत में वो पहली महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता होंगी, जिन्हें सऊदी अरब में मौत की सजा मिलेगी।
किंग सलमान के पास फैसला भेजा जाएगा ये फैसला
इस फैसले पर अब अक्टूबर में एक और अपील की जाएगी। अगर क्रिमिनल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा जाता है तो फिर किंग सलमान के पास फैसला भेजा जाएगा जो इस तरह के फैसले की पुष्टि करते हैं।
जानें क्यों मिली है इस महिला कार्यकर्ता को सजा
जर्मनी स्थित यूरोपियन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (ईएसओएचआर) की ओर से कहा गया है कि इसरा, सऊदी अरब की जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। संस्था के डायरेक्टर अली अबुबिसी की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि इस फैसले से देश की महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा। इस संस्था ने इसरा की तुरंत रिहाई की मांग की है।
संस्था का कहना है कि इसरा तीन वर्ष से जेल में हैं और उन्हें वकील देने से भी इनकार कर दिया गया है। इसरा ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के अलावा एंटी-शिश सरकार की ओर से जारी भेदभाव को खत्म करने की मांग की थी। सऊदी अरब की अथॉरिटीज की ओर से इस पूरे मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया गया है।
मौत की सजा की खबरों के इसरा को लेकर चर्चाएं हुईं तेज
घोमघम के केस पर हाल के हफ्तों में चर्चा तब तेज हुई जब अरबी मीडिया और सोशल मीडिया नेटवर्कों पर उनकी मौत की सजा की खबरें शेयर हुईं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सऊदी अरब में इसी साल मई से महिला कार्यकर्ताओं पर हो रही कार्रवाई की आलोचना की गई थी, जिसके तहत दर्जन भर लोगों को बिना किसी आरोप हिरासत में ले लिया गया।