संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच बने हालात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वह दोनों देशों के बीच ‘‘तनाव कम करने’’ एवं ‘‘बातचीत बहाल’’ करने के लिए ऐसी किसी भी पहल का समर्थन करने को तैयार हैं जो दोनों को स्वीकार्य हो।
गुतारेस के प्रवक्ता के कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी बयान में कहा गया कि महासचिव ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच बने हालात को लेकर बहुत चिंतित हैं। उन्होंने दोनों सरकारों से अधिक से अधिक संयम बरतने और तनाव बढ़ाने वाले हर कदम से बचने का आग्रह किया है।’’
बयान में कहा गया कि गुतारेस ने ‘‘फिर से दृढ़ विश्वास जताया कि सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण मुद्दों को भी सार्थक और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्वक तरीके से हल किया जा सकता है। वह दोनों पक्षों को स्वीकार्य ऐसी किसी भी पहल का समर्थन करने के लिए तैयार हैं, जो तनाव कम करने और बातचीत को फिर से शुरू करने को प्रोत्साहित करे।’’
जम्मू कश्मीर में पहलगाम के पास आतंकवादियों द्वारा 22 अप्रैल को की गई गोलीबारी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। यह 2019 में पुलवामा में किए गए हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमला है।
पहलगाम में हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित कर दिया और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को घटा दिया।
केंद्र ने पहलगाम हमले के तार सीमा पार से जुड़े होने के मद्देनजर पाकिस्तानी सैन्य सलाहकार (अताशे) को निष्कासित करने, 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी सीमा को तत्काल बंद करने सहित कई कदमों की गत बुधवार को घोषणा की थी।
भारत ने अटारी सीमा के माध्यम से देश में प्रवेश करने वाले सभी पाकिस्तानियों से एक मई तक देश छोड़ने को कहा है।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को सभी भारतीय विमानन कंपनियों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने का फैसला किया तथा भारत के साथ व्यापार को स्थगित कर दिया।
गुतारेस ने कहा है कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच की स्थिति पर ‘‘अत्यंत चिंतित’’ हैं और ‘‘बहुत बारीकी से’’ इस पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने दोनों देशों की सरकारों से अधिक से अधिक संयम बरतने एवं यह सुनिश्चित करने की अपील की कि स्थिति और खराब न हो।
सोमवार को जारी बयान में कहा गया कि भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) की ‘‘उस क्षेत्र में कोई उपस्थिति नहीं है जहां हमला हुआ और वह नियंत्रण रेखा पर 1971 के युद्धविराम समझौते के सख्ती से पालन और उससे संबंधित घटनाक्रम पर नजर रखने के अपने कार्यक्षेत्र के तहत काम कर रहा है।’’
यूएनएमओजीआईपी की स्थापना जनवरी 1949 में हुई थी। भारत एवं पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध और उसके बाद उसी वर्ष 17 दिसंबर को हुए युद्ध विराम समझौते के बाद यूएनएमओजीआईपी को इस समझौते के सख्ती से पालन से संबंधित घटनाक्रम पर यथासंभव नजर रखने और महासचिव को इसकी जानकारी देने का काम सौंपा गया था।
भारत का कहना है कि यूएनएमओजीआईपी की उपयोगिता समाप्त हो चुकी है तथा शिमला समझौते एवं उसके फलस्वरूप नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निर्धारण के बाद यह अप्रासंगिक हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवारों के साथ अपनी एकजुटता पुन: व्यक्त की और ‘‘जवाबदेही तथा न्याय के महत्व को रेखांकित किया।’’
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जम्मू कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की पिछले सप्ताह ‘‘कड़े शब्दों में निंदा’’ की थी और इस बात पर जोर दिया था कि इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए एवं इस ‘‘निंदनीय आतंकवादी कृत्य’’ के आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।