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बांग्लादेशी ब्लॉगर की हत्या, अमेरिका ने की निंदा

अमेरिका की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, यह घृणित कार्य एक बार फिर हिंसक चरमपंथ से निपटने के लिए एक साथ काम करने की जरूरत को रेखांकित करता है। हम उन बांग्लादेशियों के साथ खड़े हैं, जो इस घिनौने कृत्य के खिलाफ हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए काम करते हैं।
बांग्लादेशी ब्लॉगर की हत्या, अमेरिका ने की निंदा

वाशिंगटन। अमेरिका ने एक धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेशी ब्लॉगर की निर्मम हत्या को कायराना हत्या करार दिया है और हिंसक चरमपंथ के खिलाफ मिलकर काम करने की जरूरत को रेखांकित किया है। विदेश मंत्रालय ने कल एक बयान में कहा, अमेरिका बांग्लादेश में लेखक ब्लॉगर नीलाद्री चट्टोपाध्याय (नीलॉय चक्रवर्ती नील) की कायराना हत्या की निंदा करता है। हमारी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं और हम बांग्लादेशी लोगों का समर्थन करते हैं।

 बयान में कहा गया, यह घृणित कार्य एक बार फिर हिंसक चरमपंथ से निपटने के लिए एक साथ काम करने की जरूरत को रेखांकित करता है। हम उन बांग्लादेशियों के साथ खड़े हैं, जो इस घिनौने कृत्य के खिलाफ हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए काम करते हैं।

 

बांग्लादेश में शुक्रवार को एक और ब्लॉगर की हत्या

इस्लामी चरमपंथियों ने शुक्रवार को धारदार हथियार से 40 वर्षीय चट्टोपाध्याय की उनके फ्लैट में हत्या कर दी थी। उनका फ्लैट राजधानी ढाका के उत्तरी गोरहान में है। पिछले छह माह से भी कम समय में यह इस तरह की चौथी निर्मम हत्या है। आतंकी समूह अलकायदा ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है।

 

क्या कर रही बांग्लादेश की सरकार

सीपीजे एशिया के प्रोग्राम रिसर्च असोसिएट सुमित मल्होत्रा ने कहा,और कितने ब्लाॅगरों की हत्या के बाद प्रधानमंत्राी शेख हसीना की सरकार हिंसा पर अंकुश लगानेे के लिए निर्णयात्मक ढंग से काम करेगी? उन्होंने कहा, हम हसीना सरकार से अपील करते हैं कि वह इस घिनौनी हत्या के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने के लिए और खतरे के साए में जी रहे सभी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए आपात कदम उठाए। 

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन में वरिष्ठ निदेशक और मानवाधिकार शोधार्थी कालरा ने कहा, निलय नील की हत्या बांग्लादेश के मौजूदा अस्तित्व संबंधी संकट का प्रतीक है। उन्होंने कहा, बांग्लादेश की आजादी के आंदोलन का जो धर्मनिरपेक्ष वादा था, वह धार्मिक अल्पसंख्यकों और नास्तिकों के लिए एक दूर की कौड़ी बन गया है। सरकार के मजबूत हस्तक्षेप के बिना और बांग्लादेशी समाज के बहुसंख्यकों द्वारा कड़ा विरोध जताए जाने के बिना धार्मिक अल्पसंख्यकों और नास्तिकों पर अत्याचार और उन्हें निशाना बनाया जाना जारी रहेगा।

 

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