कांग्रेस ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत के बाद सरकार पर हमला बोला और उस पर 'कायरतापूर्ण झुकने' और 'तथाकथित ड्रैगन' के आगे घुटने टेकने का आरोप लगाया। पार्टी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान-चीन की जुगलबंदी पर मोदी की चुप्पी को भी राष्ट्र-विरोधी करार दिया।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि भारत लंबे समय से चीन पर आतंकवाद पर "दोहरे मानदंड" और "दोहरी बात" करने का आरोप लगाता रहा है।
उन्होंने एक्स पर कहा, "अब प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कह रहे हैं कि भारत और चीन दोनों ही आतंकवाद के शिकार हैं। अगर यह तथाकथित ड्रैगन के सामने तथाकथित हाथी का झुकना नहीं है, तो और क्या है?"
रमेश ने कहा, "इससे भी अधिक राष्ट्रविरोधी तथ्य यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ चीन की जुगलबंदी के बारे में राष्ट्रपति शी के साथ अपनी बातचीत में पूरी तरह चुप रहे - जिसका खुलासा खुद भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों ने किया है।"
कांग्रेस नेता ने कहा, "स्वघोषित 56 इंच सीने वाले नेता अब पूरी तरह से बेनकाब हो गए हैं। उन्होंने 19 जून, 2020 को चीन को क्लीन चिट देकर राष्ट्रीय हितों के साथ विश्वासघात किया। अब, 31 अगस्त, 2025 भी तियानजिन में उनके कायरतापूर्ण व्यवहार के लिए बदनामी के दिन के रूप में जाना जाएगा।"
भारत और चीन ने रविवार को वैश्विक वाणिज्य को स्थिर करने के लिए व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने का संकल्प लिया, जबकि प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी ने चुनौतियों से निपटने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने और गंभीर सीमा मुद्दे के "उचित" समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों नेताओं के बीच वार्ता में भारत-चीन व्यापार घाटे को कम करने, आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने और बहुपक्षीय मंचों पर निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि अपनी वार्ता में मोदी और शी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश विकास साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, तथा उनके मतभेद विवाद में नहीं बदलने चाहिए।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि मोदी ने सीमापार आतंकवाद की चुनौती का भी जिक्र किया और इस समस्या से निपटने के लिए एक-दूसरे को सहयोग देने पर जोर दिया, क्योंकि भारत और चीन दोनों ही इससे प्रभावित हैं।
मिसरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीमापार आतंकवाद के मुद्दे को ‘‘प्राथमिकता’’ के रूप में उल्लेख किया।
मिसरी ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि यह ऐसी चीज है जो भारत और चीन दोनों को प्रभावित करती है, और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम एक-दूसरे के प्रति समझ बढ़ाएं और समर्थन प्रदान करें।"
उन्होंने कहा, "और मैं कहूंगा कि हमें चीन की समझ और सहयोग प्राप्त हुआ है क्योंकि हमने चल रहे एससीओ शिखर सम्मेलन के संदर्भ में सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे से निपटना है।"