उल्लेखनीय है कि 18 दिसंबर 2014 को इस्लामाबाद आतंकवाद निरोधी अदालत ने लखवी को जमानत प्रदान कर दी थी। लखवी कथित रूप से नवंबर 2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमले की साजिश रचने, वित्तपोषण करने और उसे अंजाम देने में संलिप्त है।
सरकार ने लखवी को मिली जमानत के खिलाफ जनवरी के पहले हफ्ते में इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अपील की।
जस्टिस शौकत सिद्दीकी की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने इस याचिका पर लखवी को दलील के लिए बुलाया।
अभियोजन प्रमुख चौधरी अजहर ने सुनवाई के बाद कहा, आज की सुनवाई में लखवी के एक वकील राजा रिजवान अब्बासी ने हाई कोर्ट से मामले में दलील के लिए अधिक समय मांगा। अदालत ने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया और सुनवाई मार्च के दूसरे हफ्ते तक के लिए स्थगित कर दी।
अभियोजन ने अपनी याचिका में अदालत को सूचित किया कि निचली अदालत ने लखवी को जमानत देते वक्त मामले में गवाही नजरअंदाज कर दी।
लखवी सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े एक कानून एमपीओ के तहत मार्च के दूसरे हफ्ते तक हिरासत में है।
सरकार ने 13 फरवरी को लखवी के लिए ताजा हिरासत आदेश जारी किया जिसके बाद हाई कोर्ट ने हिरासत मामला खारिज कर दिया।