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मोदी के एक करोड़ के दान को ईधी फाउंडेशन ने ठुकराया

पाकिस्तान में भारतीय मूक-बधिर लड़की गीता की एक दशक से ज्यादा समय तक देखभाल करने वाले ईधी फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित एक करोड़ रूपये का दान लेने से मना कर दिया है।
मोदी के एक करोड़ के दान को ईधी फाउंडेशन ने ठुकराया

परमार्थ संगठन ईधी फाउंडेशन के संस्थापक और प्रमुख अब्दुल सत्तार ईधी ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया है लेकिन इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। डॉन में छपी खबर के अनुसार ईधी फाउंडेशन के प्रवक्ता अनवर काजमी ने कहा, अब्दुल सत्तार ईधी ने पीएम मोदी का आभार जताया है और उनके द्वारा घोषित वित्तीय मदद को स्वीकारने से विनम्रतापूर्वक इनकार किया है। बताया गया है कि फाउंडेशन किसी भी सरकार या सरकारी संस्था से कोई मदद नहीं लेती। फाउंडेशन का काम आम लोगों से मिलने वाले चंदे से चलता है। 

 

प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को गीता से मिले थे जिसका भारत लौटने पर भव्य स्वागत किया गया था। मोदी ने इतने सालों तक गीता का प्यार और स्नेह से ख्याल रखने के लिए कराची में रहने वाले ईधी परिवार की सराहना की थी। पीएम ने गीता का ख्याल रखने के लिए सत्तार ईधी की पत्नी बिलकीस बानो की तारीफ करते हुए सराहना के प्रतीक के तौर पर उनके फाउंडेशन को 1 करोड़ रुपये का दान देने की घोषणा की थी। इसकी घोषणा करते हुए उन्होंने कहा था कि यह दान केवल गीता की देखभाल करने के लिए नहीं बल्कि ईधी फाउंडेशन के लिए है, जो बहुत अद्भुत काम कर रहा है।

 

मोदी ने कहा था, ईधी परिवार ने जो किया वह अमूल्य है लेकिन मुझे उनके फाउंडेशन के लिए एक करोड़ रुपए के योगदान की घोषणा करने में खुशी महसूस हो रही है। 15 साल पहले पाकिस्तानी रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में गीता को अकेला बैठा पाया था। तब उसकी उम्र सात या आठ साल थी। इसके बाद ईधी फाउंडेशन की बिलकीस बानो ने उसे गोद ले लिया और गीता उनके साथ कराची में रहने लगी। बिलकीस और उनके पोता-पोती साद एवं सबा ईधी गीता को भारत लेकर आए हैं। गीता 26 अक्टूबर को नई दिल्ली लौटी है। जब तक गीता के असली परिवार का पता नहीं चल जाता तब तक वह इंदौर के एक संस्थान में रहेगी। 

 

 

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