मानवाधिकार के उल्लंघन के मसले पर भारत को घेरने की कोशिश में पाकिस्तान खुद ही घिरता नजर आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की प्रमुख मिशेल बैचलेट ने पाकिस्तान को मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नसीहत दी है। भारत में मानवाधिकार उल्लंघन पर उसने कहा है कि वह मौजूदा प्रतिबंधों पर चिंतित है। भारत को कश्मीरियों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत ने जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में विभाजित करने का भी फैसला किया है। पाकिस्तान इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। जबकि भारत ने इसे आंतरिक मसला बताया है।
पीओके में मानवाधिकारों का उल्लंघन
पाकिस्तान मानवाधिकार के मसले पर भारत को घेरने का प्रयास करता रहा है लेकिन इस मामले में उसका खुद का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर में कश्मीरियों के मानवाधिकारों की खबरें समय-समय पर आती रही हैं। वहां कश्मीरियों पर उत्पीड़न की बाते सामने आई हैं।
भारतीय कश्मीर से भी मिलीं शिकायतें
जेनेवा में हुए सयुंक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद के ४२वें सम्मेलन में इसकी प्रमुख बैचलेट ने कहा कि उनके कार्यालय को कश्मीरियों के मानवाधिकार उल्लंघन की खबरें पाकिस्तान के क्षेत्र से भी मिल रही हैं। उन्होंने भारत के बारे में कहा कि भारतीय कश्मीर क्षेत्र में भी मानवाधिकार उल्लंघन की रिपोर्ट मिली हैं।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के कदम से कश्मीरियों के मानवाधिकारों पर पड़े असर को लेकर वह चिंतित हैं। कश्मीर में इंटरनेट, संचार सेवाओं और शांतिपूर्ण तरीके से एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगें हैं। इसके अलावा स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।
कर्फ्यू, नजरबंदी खत्म करे भारत
उन्होंने कहा कि वह भारत और पाकिस्तान से मानवाधिकारों के सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध करती हैं। उन्होंने खासकर भारत से कहा कि कर्फ्यू और नजरबंदी में राहत दी जाए ताकि लोगों को मूलभूत सेवाएं मिल सकें। उन्होंने कहा कि कश्मीर के बारे में कोई फैसला करने से पहले वहां के लोगों से सलाह की जानी चाहिए। हालांकि भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि अनुच्छेद 370 हटाना उसका आंतरिक मसला है। भारत ने पाकिस्तान के दखल और गैर जिम्मेदार बयानों की कड़ी निंदा की है।
एनआरसी पर भी जतायी चिंता
मानवाधिकार परिषद की प्रमुख ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस के हाल में सत्यापन पर कहा कि इससे बाहर रह गए 19 लाख लोग अनिश्चितता में फंस गए हैं। उन्होंने भारत से अपील की कि अपील प्रक्रिया सुनिश्चित करे और लोगों को हिरासत में लेने या बाहर निकालने से बचे। पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अंतिम सूची से बाहर रह गए लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। उन्हें तब तक पूरे नागरिक अधिकार मिलते रहेंगे, जब तक उनके सभी उपलब्ध सभी कानूनी विकल्प खत्म नहीं हो जाते हैं। सूची में नाम न आने का आशय यह नहीं है कि ये लोग देश विहीन हो गए हैं।