प्रतिरोध का सिनेमा अभियान 12 साल का हो गया है। हर साल कुछ चुनिंदा फिल्में, फिल्मकार और बुद्धिजीवी जुटते हैं और सिनेमा की भाषा में वह कहते हैं जो आम आदमी भी कहना चाहता है।
सुनील सीरीज का उपन्यास उनका पहला उपन्यास था और यह 1963 में पब्लिश हुआ था। यह उपन्यास पुराने गुनाह नए गुनहगार पत्रिका नीलम जासूस में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद खोजी पत्रकार सुनील चक्रवर्ती को लेकर उन्होंने 100 किताबों की श्रृंखला की।
दुकानों से पटी वह एक भीड़-भरी तंग गली थी जिस पर एक दूसरे से हिल-मिल कर बने हुए मकानों की कतारों में किसी एक घर की एकमात्र खिड़की/बालकनी/बरामदे पर चाइनीज एलइडी से लिखे गए 56 इंच के बड़े-बड़े अक्षरों में “देश-भक्त ही देशभक्त” का साइन बोर्ड लिबडिब-लिबडिब करके जल बुझ रहा था।
1681-82 के आसपास जुलियाना गोवा से मुगल दरबार में पहुंची और शीघ्र ही औरंगजेब की बेगम और शहजादे मुअज्जम की अम्मी नवाब बाई की खिदमत में लग गई। जब 1686 में मुअज्जम और उसकी अम्मी बादशाह औरंगजेब की नजरों में गिर गए तब जुलियाना ने उनके प्रति अपनी अटूट वफादारी निभाई।
साहित्य अकादेमी, दिल्ली ने अपने महत्वपूर्ण ‘भाषा सम्मान’ के लिए वेद-वेदांगों, महाभारत आदि पुरा महाकाव्यों के विद्वान प्रो. मधुकर अनंत मेहेंदले और डॉ. अमृत सोमेश्वर का चयन किया है। वर्ष 1996 में शुरू हुआ यह सम्मान तीन दशक पूरा कर चुका है।
हमारे देश में टैक्स पर बहस अब भी चल रही है और जातिवाद, क्षेत्रवाद तो इस देश की पुरानी समस्याएं हैं। मशहूर साहित्यकार, व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के जन्मदिन पर इन विषयों पर उनके दो सशक्त व्यंग्य।