प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘असहिष्णुता के सबसे बड़े पीड़ित’ कहने वाले बृज बिहारी कुमार तो याद ही होंगे। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईएसएसआर) के मुखिया बृज बिहारी कुमार का कहना है कि अब पाठ्य पुस्तकें शिक्षा देने के बजाय जेएनयू जैसे एक्टिविस्ट बनाने के लिए लिखी जा रही हैं।
बनारस शहर का अपना मिजाज है। भोले की भांग है तो गंगा की निर्मलता भी। इस शहर के मिजाज में ही है, संस्कृति। इस शहर के लिए व्योमेश शुक्ल बहुत जाना पहचाना नाम है। रंगकर्मी, कवि, लेखक व्योमेश की टोपी में एक और पंख लगने जा रहा है। उनकी कविताएं अमेरिका के फिलाडेल्फिया के एक पार्क में बन रही दीवार पर अंकित होंगी।
कल यानी 12 जून को सी नारायण रेड्डी का निधन हो गया। ज्ञानपीठ अवार्ड प्राप्त नारायण रेड्डी जाने माने कवि थे और उन्हें तेलुगु साहित्य की दुनिया का मजबूत स्तंभ माना जाता था।
सुप्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह ने नवें दशक की कुछ फिल्मों में पत्नी चित्रा के साथ बेहतरीन संगीत दिया था। इसकी शुरुआत उन्होंने पहले ही कर दी थी, पर आठवें दशक में उनके द्वारा संगीतबद्ध और राजेंद्र सिंह बेदी द्वारा निर्देशित ‘अपनी धरती अपना देश’ प्रदर्शित नहीं हो पाई। इस फिल्म में उन्होंने रफी और साथियों के स्वर में बिस्मिल लुधियानवी का गीत 'वतन के जर्रे-जर्रे पर’ रेकॉर्ड किया था।
जंग-ए-आजादी और चंबल’ यह 1857 की जनक्रांति की स्मृति में आयोतित उस जन-समागम का शीर्षक है, जो अगले हफ्ते 25 मई को चंबल की पांच नदियों के संगम और क्रांति का ह्रदयस्थल रहे पचनदा में आयोजित है। यह दिन चंबल के इतिहास में बहुत अहम है।