पदम् विभूषण से सम्मानित प्रख्यात नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ती का आज दोपहर एक निजी अस्पताल में निधन पर हो गया।उनके निधन से भारतीय शास्त्रीय नृत्य का एक स्तम्भ ढह गया।वह 83 वर्ष की थीं और राजधानी में रहती थीं। उन्होंने विवाह नहीं किया था। कुचिपुड़ी और भरतनाट्यम दोनों में उन्हें महारत हासिल थी।
20 दिसम्बर 1940 को आंध्रप्रदेश में जन्मी यामिनी जी को 2016 में पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया था। आजादी के बाद जिन नृत्यांगनाओं ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य को शिखर पर पहुंचाया उनमें यामिनी जी उल्लेखनीय हैं।
रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी अशोक वाजपेयी ने भी गहरा शोक व्यक्त किया था। वे भारत भवन की संस्थापक न्यासी भी थीं। यामिनी जी के नृत्य के प्रशंसक देश भर में फैले हुए हैं। उनकी आत्मकथा "ए पैशन फ़ॉर डांस" भी नृत्य की दुनिया में चर्चित थी। प्रसिद्ध नृत्यांगना गीता चंद्रन ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है।
यामिनी कृष्णमूर्ति का जन्म आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के मदनपल्ली में हुआ था। उनका पालन-पोषण तमिलनाडु के चिदम्बरम में हुआ था। यामिनी कृष्णमूर्ति ने 1957 में मद्रास में डेब्यू किया था। उन्हें तिरुमाला तिरूपति देवस्थानम की अस्थाना नर्तकी (निवासी नर्तकी) होने का सम्मान प्राप्त था। उन्हें कुचिपुड़ी नृत्य शैली की 'मशाल वाहक' के रूप में भी जाना जाता था।
वह अपने संस्थान, यामिनी स्कूल ऑफ डांस, हौज खास, नई दिल्ली में युवा नर्तकियों को नृत्य की शिक्षा देती थीं। यामिनी कृष्णमूर्ति के नृत्य करियर ने उन्हें कई पुरस्कार दिलाए, जिनमें पद्म श्री (1968), पद्म भूषण (2001), और पद्म विभूषण (2016) शामिल हैं, जो भारत गणराज्य के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक है।