प्रख्यात लेखिका तसलीमा नसरीन ने आज गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर पर एक शानदार बंगला कविता सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
तसलीमा शुरू से ही टैगोर को पसंद करती रहीं हैं और उनक़ा गहरा सम्मान करती रहीं हैं। पिछले दिनों उन्होंने रवींद्र जयंती पर टैगोर की स्मृति में एक लंबी कविता लिखी जिसे कल सबने पसंद किया। उन्होंने अपनी कविता में कहा कि वह ईश्वर में विश्वास नहीं करती लेकिन अगर ईश्वर कहीं है तो मेरे लिए वह रवींद्रनाथ ही हैं।
एक रचनाकार, एक पाठक तथा काव्यप्रेमी के रूप में तसलीमा ने इस कविता में टैगोर को अपनी साहित्यिक प्रेरणा के रूप में याद किया और उनके पूरे व्यक्तिव तथा प्रभाव को काव्यात्मक शब्दों में पिरोया है।
तसलीमा की प्रसिद्ध अनुवादिका अमृता बेरा ने समारोह में उसका सुंदर हिंदी अनुवाद पेश किया। स्त्री दर्पण और नेशनल कल्चर ट्राइब द्वारा टैगोर नज़रुल स्मृति समारोह में तसलीमा ने कल यह कविता सुनाई।
समारोह में हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक और कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल प्रसिद्ध लेखिका एवम शिक्षा विद उर्मिमाला सरकार ने टैगोर और नज़रुल के अवदान को रेखांकित किया। श्री शुक्ल ने बच्चों के लिए टैगोर के लेखन को विशेष रूप से याद किया और बताया कि किस तरह उन्होंने गीतांजलि का हिंदी में अनुवाद किया। उन्होंने टैगोर की दो कविताओं का पाठ किया।
समारोह में सुलोचना वर्मा जयश्री पुरवार और मीनाक्षी प्रसाद ने टैगोर नज़रुल की कविताओं के अनुवाद का बंगला और हिंदी तथा अंग्रेजी में पाठ किया। समारोह में स्त्री दर्पण की पत्रिका "स्त्री लेखा" के "स्त्री नवजागरण अंक" का विमोचन किया गया। इस अवसर पर उर्मिमाला सरकार, मीनाक्षी प्रसाद अमृता बेरा, सुलोचना, कंचन जायसवाल, सुधा तिवारी और जयश्री पुरवार तथा सोनाली बोस ने पत्रिका का लोकार्पण किया।
सोमा बनर्जी और संदीप मुखर्जी की टीम ने शानदार नृत्य नाटिका पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया। बच्चों के समूह गायन एवम नृत्य ने तो कमाल कर दिया। उद्बोधन गायन समृद्विता चौधरी ने किया। प्रयाग शुक्ल और विनोद बनर्जी ने बच्चों को पुरस्कार भी वितरित किए।