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आकांक्षा पारे काशि‍व

समीक्षा - पीकू

समीक्षा - पीकू

शुजीत सरकार की नई फिल्म पीकू वैसे तो पारिवारिक कहानी है, पर आजकल पूरी तरह पारिवारिक कहानियों का दौर और परिभाषा दोनों बदल गई है। शायद अभी भी कुछ दर्शक यह न पचा पाएं कि एक पिता किसी तीसरे व्यक्ति के सामने बेटी के लिए कहे, ‘शी इज नॉट वर्जिन।’ फिर भी यह ऐसी फिल्म है जो पारिवारिक मुद्दों और बूढ़ों की समस्याओं पर हल्के-फुल्के ढंग से रोशनी डालती है। अच्छा लगता है जब नकारा श्रेणी में आ गई नई पीढ़ी की लड़की पिता की खातिर शादी नहीं कर रही और कहती है, ‘एक वक्त के बाद माता-पिता को बच्चे ही जिंदा रखते हैं।’
अब सारी तकलीफें ऊंची एड़ी की जूतियों तले

अब सारी तकलीफें ऊंची एड़ी की जूतियों तले

एक टीम हो जिसमें एक रॉकेट वैज्ञानिक, एक इंजीनियर, एक खगोलविज्ञानी, एक फैशन विशेषज्ञ और एक हड्डी रोग विशेषज्ञ साथ मिल कर काम करें तो बताइए ये सब लोग मिल कर क्या बनाएंगे? नहीं पता। ये सब लोग महिलाओं को कुछ इंच ऊंचा उठाने के लिए कोशिश करेंगे वह भी बिना महिला को दर्द से राहत देते हुए। अमेरिका की स्पेस ट्रांसपोर्ट कंपनी स्पेस एक्स की एक पूर्व अधिकारी डॉली सिंह ने यह खास टीम बनाई है जो अब महिलाओं के लिए स्टेलेटो (ऊंची एड़ी के सैंडिल) डिजाइन करेंगे।
अब कौन सलमान का फैन

अब कौन सलमान का फैन

सलमान का भोला-भोला चेहरा हमेशा से ही लोगों के जहन में बहुत आसानी से जगह बनाता आया है। लाखों लोग उनके प्रशंसक हैं। उनकी भूमिकाओं के जरिए उनसे प्यार करने वालों की कमी नहीं है। अब जब सालों से चल रहे मुकदमे में उन्हें सजा हो गई है तो लाजिमी है कि उनके प्रशंसक जानें कि दरअसल वह उतने भोले भी नहीं जितने परदे पर दिखते हैं।
वृत्तचित्र व्यवसाय के व्यवधान

वृत्तचित्र व्यवसाय के व्यवधान

बहुत दिन नहीं बीते हैं, जब बीबीसी के लिए लेजली उडविन द्वारा बनाए गए एक वृत्तचित्र पर खूब हंगामा हुआ। संसद से लेकर सडक़ तक विरोध के स्वर गूंजे और शायद इसी बहाने पहली बार भारत में वृत्तचित्र पर इतनी बात हुई।
समीक्षा गब्बर इज बैक

समीक्षा गब्बर इज बैक

अब तो कालिया को पूछना पड़ेगा, ‘तेरा क्या होगा गब्बर?’ पूरी फिल्म देखते हुए लगता है हीरो का नाम गब्बर सिर्फ इसलिए है कि शोले के कुछ कालजयी संवादों को दोबारा कहा जा सके। यह अलग बात है कि यहां गब्बर खलनायक नहीं नायक है
क्रांतिवीरा संगोल्ली रायन्ना में आपका स्वागत है

क्रांतिवीरा संगोल्ली रायन्ना में आपका स्वागत है

सरकारें और सत्ता बदलते ही सबसे पहले शहरों, कस्बों, रेलवे स्टेशनों, विमानतलों, सड़कों, गली और मोहल्लों के नाम बदलने की होड़ लग जाती है। यह अलग बात है कि लोगों के जहन में बरसों बरस वही पुराने नाम चले आते हैं।
पांच बातें जो नहीं बनाएंगी फैशनेबल

पांच बातें जो नहीं बनाएंगी फैशनेबल

फैशन की कोई परिभाषा नहीं होती। जो आपको अच्छा और आरामदायक लगे वही फैशन है। देखा-देखी बिना सोच-समझे जो लोग फैशन के रिंग में कूद पड़ते हैं वह मात ही खाते हैं। जो चल रहा है वही आप पर भी चलेगा यह समझना भूल है। फैशन की 5 बातें जो आपके लिए जानना जरूरी है
गर्मियों की छुट्टियों में यहां न जाएं

गर्मियों की छुट्टियों में यहां न जाएं

गर्मियों की छुट्टियां आते ही घूमने जाने की योजनाएं परवान चढऩे लगती हैं। बोरिया-बिस्तर बांधा, इंटरनेट पर कुछ खोजा-समझा और चल दिए घूमने। कभी यह भी नहीं सोचा कि वहां जाने के लिए मौसम अच्छा है या नहीं या फिर जिन सुविधाओं या मस्ती के लिए जा रहे हैं वह वहां मिलेगी या नहीं
टि्वटर पर झगड़े चेतन भगत और टि्वंकल

टि्वटर पर झगड़े चेतन भगत और टि्वंकल

टि्वंकल खन्ना को लेखक चेतन भगत का नच बलिए टीवी शो में जज बनना बिलकुल रास नहीं आया। उन्होंने अपनी भावनाएं भी नहीं छुपाईं और टि्वटर पर इसका इजहार भी कर दिया। चेतन ने पहले तो लोहा लेने की कोशिश की लेकिन आखिरकार उन्हें हार माननी ही पड़ी
सीमेंट के विज्ञापन में मॉडल बनीं मजदूर

सीमेंट के विज्ञापन में मॉडल बनीं मजदूर

अल्ट्राटेक सीमेंट का विज्ञापन दिखाना चाहता है कि उनकी सीमेंट से कैसी खूबसूरत इमारतें बनती हैं। इस खूबसूरती को दिखाने के लिए लगता है इस उत्पाद के विज्ञापन बनाने वालों को लगा होगा कि केवल खूबसूरत लोग ही खूबसूरत चीजें बना सकते हैं। खूबसूरती का अतिरेक दिखाता यह विज्ञापन मजदूरों का एक तरह से अपमान है
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