चर्चाः चाहे कोई हमें जंगली कहे। आलोक मेहता
हम हिंदुस्तानी का जवाब नहीं। दुनिया के किसी मुल्क और उसके प्रदेश या राजधानी का नेता अपनी प्यारी जनता और व्यवस्था को ‘जंगली’ नहीं बताता। लेकिन हाल के वर्षों में हमारे ‘सत्यवादी’ नेताओं ने पर्दाफाश का ठेका लेकर कहना शुरू कर दिया है- ‘दुनियावालों सुन लो- देख लो- यहां है जंगल राज।’