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सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर 6 कानूनविदों की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने शुक्रवार को मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक...
सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर 6 कानूनविदों की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने शुक्रवार को मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए। इस पर कई कानूनविदों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं।

 

सुब्रमण्यम स्वामी

- ''हम उनकी (जजों) की आलोचना नहीं करते। बड़े ईमानदार व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी करियर की भेंट चढ़ाई है। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। प्रधानमंत्री तय करें कि सुप्रीम कोर्ट के चारों जज, सीजेआई और पूरा कोर्ट एक राय बनाकर आगे काम करे।''

 

उज्ज्वल निकम

- ''यह न्यायपालिका के लिए काला दिन है। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस खराब मिसाल साबित होगी। आज के बाद हर आम नागरिक सभी न्यायिक आदेशों को संदेह के तौर पर देखेगा। हर फैसले पर लोग सवाल उठाएंगे।''

सलमान खुर्शीद

यह बेहद दुखी करने वाला और दर्दनाक है कि शीर्ष अदालत की जमीन में इतना गंभीर तनाव कि जजों को मीडिया के सामने आकर संबोधित करना पड़ा।

इंदिरा जयसिंह

 

- ''ये एक ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। बहुत अच्छी तरह से हुई। देश की जनता को यह जानने का हक है कि ज्यूडिशियरी में क्या चल रहा है। मैं इसका स्वागत करती हूं।''

जस्टिस सोढ़ी रिटायर्ड

-इनके खिलाफ महाभियोग चलाया जाना चाहिए, अब इन लोगों को वहां बैठकर फैसला देने का हक नहीं बनता है। ये ट्रेड यूनियनिज्म गलत है। लोकतंत्र खतरे में है ऐसा उन्हें नहीं कहना चाहिए, हमारे यहां संसद है, कोर्ट और पूरी पुलिस प्रणाली काम कर रही है।

हंसराज भारद्वाज

यह संपूर्ण संस्था की प्रतिष्ठा का नुकसान है, यदि आप जनता का विश्वास खो देते हैं तो बचता क्या है? न्यायपालिका को लोकतंत्र का आधार होना चाहिए। यह कैसे कार्य करता है यह देखना कानून मंत्री की जिम्मेदारी है।

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