"प्रवीण झा से संबंधित जानकारियां बताने से लोग अभी भी बच रहे हैं। लेकिन, उनकी कोई पहले से गंभीर अपराधिक पृष्ठभूमि नहीं रही है। पिता सीआरपीएफ से रिटायर्ड हैं। जबकि प्रवीण झा की उम्र 28 से तीस साल के करीब है। वो इस बार पंचायत चुनाव में मुखिया पद के दावेदार था। रावण नाम से सोशल मीडिया ग्रुप को संचालित कर रहा था, जिसमें कई लोग जुड़े हुए हैं। निर्मम नरंसहार से लोग सहमे हुए हैं। इस वक्त प्रवीण झा का पूरा परिवार जेल में है। वहीं, उनके घर की कुर्की जब्ती हो चुकी है।" ये कहना है मधुबनी बेनीपट्टी नरसंहार कांड पीड़ित परिवार से दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित अमरीजत सिंह का। प्रवीण झा द्वारा वारदात को दिए अंजाम से बिहार की सुशासन व्यवस्था से लेकर नीतीश सरकार तक हिल गई है। लेकिन, नीतीश की चुप्पी सवालों के घेरे मे है। विपक्ष लगातार हमलावर है और तीखे हमले से नीतीश को कटघरे में खड़ा कर रही है। मधुबनी नरसंहार पर नीतीश कुमार से जब प्रतिक्रिया मांगी गई थी तो उन्होंने कहा था, "राज्य में लॉ-एंड-ऑर्डर की जिम्मेदारी पुलिस के पास है। इसमें उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं है।" अब तेजस्वी ने सवाल उठाते हुए कहा है, "चर्चित घटना बाद हफ़्ते भर वो मीडिया से दूर घर में दुबके रहेंगे,फिर अज्ञानता प्रकट करते हुए कहेंगे आपको पता है हम क्या करते रहते है?या फिर कहेंगे ऐसा हुआ हमारे संज्ञान में नहीं है। फिर कहेंगे हमने समाचार पत्रों में पढ़ा। फिर कहेंगे हमने अधिकारियों को कहा है, क़ानून अपना काम करेगा।"
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आउटलुक से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार और बिहार की मौजूदा स्थिति पर लिखी गई किताब 'रूकतापुर' के लेखक पुष्यमित्र कहते हैं, "चुप्प रहने और दूरी बनाने के पीछे भी सीएम नीतीश की एक सोची-समझी रणनीति काम करती है। वो इस बात को समझते हैं कि कोई भी मुद्दा 10 से 15 दिनों तक ही चल पाता है। इसलिए वो इस तरह की जघन्य अपराधों पर चुप्पी साध लेते हैं।" आगे पुष्यमित्र कहते हैं, "उन्हें ऐसा लगता है कि किसी मुद्दे पर जितनी टिप्पणी की जाएगी, उसे उतनी ही हवा मिलेगी। ये सिर्फ मधुबनी नरसंहार मामले में नहीं हुआ है। साल 2013 में हुए मिड-डे मील कांड में भी देखने को मिला था। नवादा शराब कांड में भी यही हुआ।"
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मधुबनी नरसंहार कांड में दो जातियों के बीच की लड़ाई की बात भी सामने आ रही है। आरोपी ब्राह्मण जाति है जबकि पीड़ित परिवार राजपूत जाति से। इसमें अब करनी सेना कूद पड़ी है। पुष्यमित्र कहते हैं, "बिहार की राजनीति जातिगत है। नीतीश समझते हैं कि उनके बोलने से दोनों समुदाय के लोग खफा होंगे और इसका असर उनके वोट बैंक पर पड़ेगा। इसलिए, अभी वो सिर्फ अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए हैं।"
दरअसल, सेना से रिटायर्ड सुरेंद्र सिंह के तीन पुत्र रणविजय सिंह, विरेंद्र सिंह और अमरेंद्र सिंह की मौत हो चुकी है। वहीं, उनके भतीजे राणा प्रताप सिंह एवं रुद्रनारायण सिंह की भी मौत हो गई है। राणा प्रताप सिंह बीएसएफ में एएसआई के पद पर तैनात थे। होली में ये छुट्टी पर घर आए हुए थे। सुरेंद्र सिंह के भाई राम नारायण सिंह भी सेना से रिटायर्ड हैं। उनके बेटे मनोज कुमार सिंह कोमा में हैं। जबकि महंथ रूद्र नारायण सिंह को भी अपराधियों ने गोलियों से भून दिया।
मधुबनी के बेनीपट्टी थाना अंतर्गत महमदपुर गांव में बीते महीने मार्च की 29 तारीख को यानी होली के दिन हुए नरसंहार में पांच लोगों की हत्या कर दी गई जबकि छठा व्यक्ति कोमा में है। इस मामले में मुख्य अपराधी प्रवीण झा है, जो बगल के गांव गइदीपुर के रहने वाला है। ये क्योंथ पंचायत में आता है जबकि सेना से रिटायर्ड पीड़ित सुरेंद्र सिंह का परिवार महमदपुर पंचायत का रहने वाला है। एडीजी के मुताबिक प्रवीण झा को बुधवार को मधुबनी से गिरफ्तार किया गया है जबकि इस पूरे मामले में 35 लोगों के शामिल होने की बात कही गई है। अन्य की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी चल रही है।
मुख्य आरोपी प्रवीण झा का बेनीपट्टी विधायक विनोद नारायण झा के साथ उठने-बैठने की बात कही जा रही है। लेकिन, राज्य पुलिस ने अभी तक इस मामले को संज्ञान में नहीं लिया है। आउटलुक से बातचीत में भी डीएसपी अरूण कुमार सिंह ने कहा था, "इस एंगल से जांच की अभी कोई गुंजाइश नहीं है।" आरोपी प्रवीण झा का डीएसपी के साथ मिलीभगत का भी आरोप है। इससे वो इंकार करते हैं। आउटलुक से पुष्यमित्र कहते हैं, "विधायक से लेकर पुलिस के साथ आरोपी के सांठ-गांठ की बात सामने आ रही है। लेकिन, नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं बोला है। वहीं, इस बार तो सुशील मोदी भी चुप हैं। जबकि यदि यादव समुदाय को लेकर बात सामने आती है तो वो सबसे पहले बोल पड़ते हैं।"
तेजस्वी लगातार नीतीश को घेरने में लगे हुए हैं। ट्वीट कर उन्होंने कहा, "बिहार की जनता माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का असल चाल, चरित्र और चेहरा समझ चुकी है। उनका कोई सिद्धांत, विचार, नीति, नियति और नियम नहीं है। जनसरोकर से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें बस येन केन प्रकारेण कुर्सी चाहिए।"