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बहस

फेसबुक पर लिखने से रोकना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है?

फेसबुक पर लिखने से रोकना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है?

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बारे में फेसबुक पर कथित तौर पर आपत्तिजनक बयान पोस्ट करने के कारण उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए के तहत एक लड़के को गिरफ्तार करने का मामला चर्चा में है।
क्या भारत में ईमानदारी की सजा मौत हो गई है

क्या भारत में ईमानदारी की सजा मौत हो गई है

बेंगलूरू में आइएएस अफसर डीके रवि की मौत ने कई सवाल पैदा किये हैं। रवि की छवि एक ईमानदारी अधिकारी की थी। उनकी सख्ती की वजह से रेता और खनन माफिया के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई थीं। माना जा रहा है कि उनकी हत्या के पीछे भी माफिया का हाथ है। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के मंजूनाथ और नरेंद्र कुमार सिंह समेत देश के कई राज्यों में ईमानदार अफसर अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ को अपनी ईमानदारी की वजह से दूसरी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। जिस तरह से भारत में भ्रष्टाचार संस्थागत रूप लेता जा रहा है इसने ईमानदार और उसूल वाले लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
काटजू को गुस्सा क्यों आता है?

काटजू को गुस्सा क्यों आता है?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू फिर चर्चाओं में हैं। इस बार उन्होंने राष्ट्र पिता माने जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस की आलोचना की है। उन्होंने गांधी को फर्जी और बोस को जापानी फासिस्टों का एजेंट कहा है। काटजू के बयान के लिए राज्यसभा में उनकी निंदा का प्रस्ताव पास किया जा चुका है।
कहां है आप का आंतरिक लोकतंत्र?

कहां है आप का आंतरिक लोकतंत्र?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर नई तरह की जन आकांक्षाएं पैदा की थीं। लेकिन सरकार बनने के कुछ ही वक्त बाद पार्टी के भीतर का वैचारिक संघर्ष बाहर आ गया है। अरविंद केजरीवाल और समर्थकों के निशाने पर पार्टी नेता योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण हैं। इन दोनों नेताओं ने पार्टी के भीतर लोकतांत्रिकरण की बहस उठाई थी। साथ ही पार्टी में व्यक्ति के बजाय सामूहिक निर्णय पर जोर दिया था। अब पार्टी के भीतर नैतिक सवालों को भीड़ के तर्क के आधार पर हल करने की कोशिश की जा रही है।
वादे पूरे करने में मोदी से आगे केजरीवाल?

वादे पूरे करने में मोदी से आगे केजरीवाल?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम चुनाव के वक्त देश की जनता से कई वादे किये थे। अब केन्द्र में उनकी पार्टी की सरकार को नौ महीने बीत चुके हैं। लेकिन आम जनता को मोदी के वादे पूरे होते नज़र नहीं आ रहे हैं। हाल ही में अपने वादे से हटते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जिस तरह काले धन के मुद्दे पर जन अपेक्षाओं पर चोट की उससे मोदी और उनकी पार्टी की फजीहत ही हुई है। चुनाव से पहले मोदी ने कहा था कि चुनाव जीतने पर उनकी पार्टी विदेशों में पड़ा काला धन वापस लायेगी तो उससे देश के प्रत्येक व्यक्ति के खाते में डेढ़ लाख रुपये जाएंगे। बाद में शाह ने इसे सिर्फ चुनाव जुमला बताया। इसके बाद सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बीजेपी को लोग भारतीय जुमला पार्टी तक कहने लगे। आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले जनता से कुछ वादे किये थे। तब विपक्ष ने, खास तौर पर भारतीय जनता पार्टी ने, उनका मजाक बनाया था। अब केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। सत्ता में आने के बाद केजरीवाल ने बिजली-पानी पर अपना वादा निभा दिया है।
क्या राहुल गांधी को राजनीति से ही छुट्टी ले लेनी चाहिए?

क्या राहुल गांधी को राजनीति से ही छुट्टी ले लेनी चाहिए?

संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के छुट्टी लेने पर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। विपक्ष इसे राहुल का पलायन कह रहा है तो कांग्रेस कह रही है कि वह चिंतन करने के लिए छुट्टी पर गये हैं। राहुल हमेशा अनमने तरीक़े से राजनीति करते रहे हैं। उन्होंने अब तक की राजनीति में जितने भी मुद्दे उठाये हैं उन्हें कभी मंजिल तक नहीं पहुंचाया। भट्टा पारसौल, कलावती और नियमगिरी के मुद्दे इसकी बानगी मात्र हैं।
कॉरपोरेट हवस से कैसे बचे लोकतंत्र?

कॉरपोरेट हवस से कैसे बचे लोकतंत्र?

कॉरपोरेट लॉबींग और सरकारी नीतियों को अपने पक्ष में मोड़ने का एक और बड़ा मामला सामने आया है। साल 2010 में कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया के टेप के बाहर आने पर कॉरपोरेट, मीडिया, नौकरशाही और राजनीति के गठजोड़ से बड़े पैमाने पर पर पर्दा हटते दिखा था। उसी तरह पेट्रोलियम मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज़ों को हासिल करने में बड़े कॉरपोरेट समूहों ने किस तरह के हथकंडे अपनाये यह अब सामने आ चुका है।
मोदी की उलटी गिनती शुरू?

मोदी की उलटी गिनती शुरू?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। आम आदमी पार्टी को जनता ने बंपर बहुमत से जिताया है। चुनाव के इन नतीजों की राजनीति के महारथी अलग-अलग अंजाज में व्याख्या कर रहे हैं। हम भी इस बारे में अपने पाठकों की राय जानना चाहते हैं।
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान जारी है। यहां बीजेपी और आप के बीच कांटे की टक्कर है। यहां किस पार्टी के जीतने के आसार हैं? कौन सी पार्टी लोकतंत्र और दिल्ली की जनता के लिए बेहतर साबित होगी?
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