यह एक कड़वी सच्चाई है मगर देश के करीब 80 फीसदी डॉक्टर धड़ल्ले से मरीजों को वे दवाएं दे रहे हैं जिन्हें हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित सूची में शामिल किया है।
सभी को होली का इंतजार है लेकिन इस त्योहार में पिचकारी, गुब्बारों, डाई और गुलाल में प्रयोग जाने वाले रंग त्वचा और बालों के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं। इनमें माइका और लैड जैसे रसायनिक पदार्थ होते हैं। जिससे न केवल त्वचा में जलन पैदा होती है बल्कि यह सब सिर की चमड़ी पर जमा भी हो जाते हैं। होली खेलने के बाद त्वचा निर्जीव सी हो जाती है। इस मौके पर त्वचा की देखभाल के लिए हम बता रहे हैं कुछ खास उपायः
हृदय रोग ने हमारे देश में एक महामारी का रूप ले लिया है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार सन् 2020 में एक तिहाई मौत का कारण हार्टअटैक पाया गया है। विडम्बना यह है कि इस बीमारी से होने वाली अधिकतर मौतों को रोका जा सकता है, अगर लक्षणों को पहचान कर सही वक्त पर इलाज कर किया जाये।
पारंपरिक औषधि से संबंधित पहली भारतीय-अमेरिकी कार्यशाला आज नई दिल्ली में आरंभ हुई। यह कार्यशाला कल चार मार्च तक चलेगी। इस कार्यशाला का आयोजन पिछले वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच हुई उस बातचीत के आधार पर की जा रहा है जिसमें दोनों नेताओं ने पारंपरिक औषधि के क्षेत्र में मिलकर काम करने की प्रतिबद्ता जताई थी।
ग्लोबोकैन ने खुलासा किया है कि दुनियाभर में लगातार तेजी से कैंसर के नए मामलों में इजाफा हो रहा है। ग्लोबोकैन का कहना है कि 2008 में प्रकाशित हुए आंकड़ों की तुलना में 7.05 फीसदी नए मामलों में वृद्धि हुई है। भारत में बढते कैंसर के मामले चिंता का विषय है। कैंसर के मुख्यतः कारक वायु व जल प्रदूषण, कीटनाशक, जीवनशैली, डाइट, तंबाकू, शराब और पान मसाला है। दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मृत्यु के बाद देश में कैंसर से मौत शीर्ष कारणों में से एक है।
अमेरिका में मर्दों की उम्र औरतों के मुकाबले औसतन 5 वर्ष कम होती है जबकि पूरी दुनिया में यह औसत 7 वर्ष का है। पूरी दुनिया में 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों में महिलाओं का प्रतिशत 57 है जबकि 85 वर्ष से अधिक आयु वालों में महिलाएं 67 फीसदी हैं। आखिर इसकी वजह क्या है? डॉक्टरों के अनुसार इसकी मुख्यतः सात बड़ी वजहें हैं।
प्रेमी युगल हर साल वेलेंटाइन डे को कुछ खास अंदाज में मनाने की चाह रखता है ताकि इस दिन की यादें उसके दिलो-दिमाग में सालों ताजा रहें। हालांकि आम तौर पर लोग पारपंरिक तरीके से रोमांटिक डिनर करना पसंद करते हैं लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो अपनी साथी को हेलीकॉप्टर यात्रा पर ले जाना चाहते हैं।
शरीर के बाकी अंगों की बजाय हाथ ज्यादा शुष्क रहते है। कारण यह है कि हाथों की पीछे की त्वचा काफी पतली होती है और इसमें तैलीय ग्रन्थियों भी अपेक्षाकृत कम होती है। घरेलू महिलाओं के हाथ दैनिक कामों के दौरान बार-बार साबुन या डिटरजेंट के संपर्क में आते हैं, जिसकी वजह से हाथों की त्वचा को नुकसान पहुंचता है। वह शुष्क और रूखे हो जाते हैं। चेहरे के साथ-साथ हाथों की खूबसूरती भी बरकरार रहे, इसके लिए कुछ नुस्खे-
ये एक आम धारणा है कि यदि कोई व्यक्ति फेफड़े के कैंसर से पीड़ित है तो निश्चित रूप से वह सिगरेट, बीड़ी, हुक्का या इसी तरह का कोई तंबाकू के धुएं वाला नशा करता होगा। हाल तक यह धारणा कुछ हद तक ठीक भी मानी जाती थी क्योंकि ऐसे लोगों में से 90 फीसदी से अधिक धूम्रपान के आदि पाए जाते थे मगर अब स्थिति ऐसी नहीं है।
भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईईआर) द्वारा भारत के ‘पादप पोषक तत्व’ नामक जारी रिपोर्ट के अनुसार सभी आय वर्ग के भारतीय उपभोक्ता अनुशंसित की गई फलों व सब्जियों की कम से कम मात्रा 400 ग्राम या प्रतिदिन पांच बार प्रत्येक का 80 ग्राम औसत के साथ से कम उपभोग कर रहे हैं।