गर्मी के मौसम में दही और छाछ का सेवन करना बहुत ही लाभदायक होता है, हम आपसे खीरे के प्रयोग से मसाला छाछ, खीरे की नमकीन छाछ बनाने की विधि बताएंगे जो एक बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक ड्रिंक है। दो लोगों के लिए।
जब से नेताओं के विपश्यना करने की खबरें आने लगी हैं तब से आम लोगों की भी इसमें रुचि बढ़ रही है। हालांकि यह पुरानी परंपरा है। इसे आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि की बहुत पुरानी साधना-विधि माना जाता है। भगवान गौतम बुद्ध ने विलुप्त हुई इस पद्धति का पुन: अनुसंधान कर इसे जीवन जीने की कला के रूप में बनाया।
भारतीय परंपरा में भगवान की पूजा करते वक्त धूप-दीप लगाने का बड़ा महत्व है। अगरबत्ती लगाना और हवन करना भी इसमें शामिल है। लेकिन सच्चाई यह है कि धूपबत्ती या अगरबत्ती से निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य के प्रति खतरनाक होता है। इससे कैंसर के साथ कई जानलेवा बीमारियों का भी खतरनाक हो सकता है।
कोलकाता में चिकित्सक सर्जरी करने और शरीर में किसी ऐसी जगह जहां मानवीय हाथ पहुंचने में परेशानी हो, वहां पांच मिलीमीटर के रोबोटिक हाथों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
खानपान को लेकर जिस वर्ग में जागरुकता आई है, वे मुट्ठीभर है। आज भी नाश्ते में गरिष्ठ पराठे, छोले-भठूरे, कचौड़ी, तरह-तरह की ब्रैड, पास्ता या नए-नए सीरियल्स चलन में हैं।
साबूदाना खिचड़ी व्रत में खाने के लिए बढ़िया विकल्प है। यह स्वाद में भी शानदार है और बनाने में भी आसान। इसमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है इसलिए यह पेट को भरा रखती है।
यह तो चिकित्सक भी मानते हैं कि गर्मी के दिनों में नीबू पानी पीने से शरीर का तापमान ठीक रहता है इससे शरीर को ताजगी मिलती है। यह शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
इम्तिहान खत्म और गर्मियों की छुट्टियों का मौसम शुरू। घूमने और अपने भीतर के सैलानी को बाहर निकालने का बहुप्रतीक्षित समय। लेकिन इस बार अपनी उसी पुरानी लिस्ट को किनारे रखें- शिमला, कुल्लू-मनाली,देहरादून-मसूरी, दार्जीलिंग, श्रीनगर, ऊटी, नैनीताल से आगे के विकल्प सोचें। ये सारी जगहें खूबसूरत हैं लेकिन सैलानियों की भीड़ से भरी हैं। यहां के बाजारों में रैला ज्यादा होता है और सुकून कम।इसलिए ऐसी जगहें चुनें जो खूबसूरत तो हों लेकिन जहां टूरिस्टों की मारा-मारी कम हो। जहां सुकून हो और वो पसंद व जेब के अनुकूल भी हों। ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में-