कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा कि केंद्र को पाकिस्तान के साथ सभी सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनाने से पहले सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी और संसद सत्र आहूत करना चाहिए था।
सिद्धारमैया ने कहा कि आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ अभियान का पूरा श्रेय सशस्त्र बलों को जाना चाहिए और किसी को भी इसका राजनीतिक श्रेय नहीं लेना चाहिए।
सिद्धारमैया ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘संघर्षविराम की घोषणा कर दी गई और दोनों देश इस पर सहमति पर पहुंच गए हैं। दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) की बातचीत होने वाली है, देखते हैं कि वहां क्या निर्णय होता है।’’
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘‘मेरी राय में उन्हें (केंद्र सरकार को) संघर्षविराम से पहले सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी। साथ ही संसद भी आहूत करनी चाहिए थी, क्योंकि यह बहुत गंभीर मामला है।’’
कई लोगों द्वारा 1971 के बांग्लादेश मुक्तिसंग्राम के दौरान दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उनके नेतृत्व और वर्तमान भारत-पाकिस्तान स्थिति के बीच तुलना करने के उद्देश्य से उदाहरण दिए जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘1971 के बाद से कई वर्ष, लगभग 54 वर्ष बीत चुके हैं, मैं अब इसके बारे में बात नहीं करना चाहता। संघर्षविराम की घोषणा हो चुकी है, डीजीएमओ बात कर रहे हैं, देखते हैं क्या होता है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य में सभी पाकिस्तानी नागरिक देश छोड़कर चले गए हैं, सिद्धरमैया ने कहा कि मैसूरु में केवल तीन बच्चे हैं और बाकी सभी चले गए हैं। उन्होंने कहा कि तीनों बच्चों की उम्र छह साल से कम है, उनकी मां भारतीय और पिता पाकिस्तानी है।
उन्होंने कहा, ‘‘तीनों बच्चे सीमा पर गए थे और जब कोई उन्हें लेने नहीं आया तो वे वापस लौट आए। अब वे अपनी मां के साथ हैं।’’