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'सरकार ने हेडलाइन तो दे दी लेकिन डेडलाइन कहां है': केंद्र के जाति जनगणना फैसले पर कांग्रेस

कांग्रेस ने आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के निर्णय की घोषणा के बाद गुरुवार को सरकार पर हमला...
'सरकार ने हेडलाइन तो दे दी लेकिन डेडलाइन कहां है': केंद्र के जाति जनगणना फैसले पर कांग्रेस

कांग्रेस ने आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के निर्णय की घोषणा के बाद गुरुवार को सरकार पर हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी "बिना समय सीमा के सुर्खियां बनाने में माहिर हैं।"

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि इस फैसले को लेकर कई सवाल उठते हैं, खासकर सरकार की मंशा पर। उन्होंने मांग की कि जनगणना जल्द से जल्द होनी चाहिए।

दरअसल पार्टी के 24, अकबर रोड स्थित कार्यालय में प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए रमेश ने कहा कि वह "बिना समय सीमा के सुर्खियां बनाने में माहिर हैं।"

इस बात पर जोर देते हुए कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा की बाधा को हटाया जाना चाहिए, रमेश ने पूछा कि मोदी सरकार को ऐसा करने से कौन रोक रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना तभी सार्थक होगी जब ऐसा किया जाएगा।

रमेश ने दिसंबर, 2019 की कैबिनेट बैठक की प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021 में 8,254 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

उन्होंने बताया कि उस प्रेस विज्ञप्ति में जाति गणना का कोई उल्लेख नहीं था। उन्होंने कहा, "हर कोई जानता है कि यह जनगणना नहीं हुई है और छह साल बीत चुके हैं। आश्चर्य की बात यह है कि सरकार ने कल ही इसकी घोषणा की।"

हालांकि, रमेश ने सरकार से जाति जनगणना के लिए देश के सामने रोडमैप रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 2025-26 के बजट में जनगणना आयुक्त के कार्यालय को केवल 575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, "तो वे 575 करोड़ रुपये में किस तरह की जनगणना कराने की योजना बना रहे हैं। तो इरादा क्या है - क्या यह सिर्फ हेडलाइन देने के लिए है? उनका इरादा क्या है? इरादे पर कई सवाल उठते हैं।"

रमेश ने कहा, "आपको 2021 में जनगणना कर लेनी चाहिए थी। वे कोविड महामारी का हवाला देते हैं, लेकिन 50 से अधिक देशों ने कोविड के दौरान जनगणना की। महामारी 2023, 2024 में नहीं थी, लेकिन उन्होंने इसे नहीं करवाया।"

उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री पिछले साल टीवी चैनलों को साक्षात्कार दे रहे थे, तो उन्होंने जाति जनगणना की बात करने वालों को "शहरी नक्सली" कहा था। रमेश ने कहा, "वह कब से शहरी नक्सली बन गए? गृह मंत्री अमित शाह कब से शहरी नक्सली बन गए?"

उनकी यह टिप्पणी केंद्र सरकार द्वारा यह घोषणा किए जाने के एक दिन बाद आई है कि जाति गणना अगली जनगणना का हिस्सा होगी, जिसमें आजादी के बाद पहली बार जाति का विवरण शामिल किया जाएगा।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि वह आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के सरकार के "अचानक" फैसले का स्वागत करते हैं, जिसका "11 साल तक विरोध" किया गया था। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र को इसके कार्यान्वयन के लिए समयसीमा बतानी चाहिए।

जाति जनगणना पर सरकार की घोषणा के लिए कांग्रेस द्वारा चलाए गए सतत अभियान को श्रेय देते हुए गांधी ने कहा कि उनका तात्कालिक संदेह यह है कि क्रियान्वयन के मामले में यह महिला विधेयक की राह पर जा सकता है और उन्होंने इसके लिए एक विशिष्ट तिथि की मांग की।

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि यह स्पष्ट है कि जाति जनगणना के लिए कांग्रेस द्वारा सरकार पर डाला गया दबाव काम कर गया है। कांग्रेस समेत विपक्षी दल देश भर में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने ऐसे सर्वेक्षण करवाए हैं।

राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिए गए निर्णय की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना "गैर-पारदर्शी" तरीके से की है, जिससे समाज में संदेह पैदा हुआ है। 

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