पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद से उभरी चिंगारी की ओर ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे इशारा करते लगते हैं जब वे कहते हैं कि “देश में गृह युद्ध का जिम्मेदार सुप्रीम कोर्ट है।” संयोग से, 21 अप्रैल को उसी हिंसा के मामले में राज्य में केंद्रीय पुलिस बल भेजने और राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वकील विष्णु शंकर जैन पर न्यायाधीश बीआर गवई और ए.जी. मसीह की खंडपीठ की टिप्पणी से न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका के ज्वलंत मुद्दे में तनाव नए ठौर पर पहुंचता दिखा।
दरअसल 5 अप्रैल को जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को मिली, मुर्शीदाबाद में हाइवे पर प्रदर्शनकारी उतर आए और तोड़फोड़ की कुछ वारदातें हुईं। उसी शाम पुलिस की गोली से दो मुसलमान युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। लेकिन 12 अप्रैल की सुबह करीब 9-10 बजे वहां के दिघोरी, जाफराबाद, रानीपाल और बेदबोना मोहल्लों में कुछ अनजान युवकों की हथियारों से लैस भीड़ प्रकट हुई और हिंदू घरों-दुकानों में लूट और आगजनी शुरू हो गई। जाफराबाद में पिता-पुत्र हरगोबिंद (71 वर्ष) और चंदन दास (41 वर्ष) को पीटकर मार डाला गया। कुछ स्थानीय लोगों ने रोकने की कोशिश की, तो उन्हें धमकाया गया। इन मोहल्लों में वर्षों से मिश्रित आबादी साथ रहती आई है। दिघोरी साहापाड़ा के अब्दुल हलीम कहते हैं, “भीड़ ने हमला करना शुरू किया तो हम स्थानीय लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने हमें भी धमकाया। वे हथियारों से लैस थे।” दिघोरी पालपाड़ा की अनवारा बीबी भी यही कहती हैं। उन्होंने कहा, “उनके मुंह ढंके हुए थे और कोई नारा नहीं लगा रहा था।”
इन हत्याओं और पुलिस गोली से जख्मी युवक एजाज अहमद की मौत की खबर फैली तो 13 अप्रैल को कई इलाकों में अशांति फैल गई। कई पुलिस वालों को भी चोटें आईं। बताया जाता है कि करीब 300 हिंदू परिवारों ने गंगा पार माल्दा जिले के पार लालपुर के हाइस्कूल में शरण ली। कुछ अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंच गए। माहौल शांत होने पर 16-17 अप्रैल को लोग अपने घरों में लौट आए, मगर कई परिवार महिला-बच्चों को दूर ही रखे हुए हैं। कई मुसलमान परिवार भी पुलिस और अर्द्धसैनिक पुलिस बल की ‘अनाप-शनाप गिफ्तारियों’ के डर से बाहर चले गए हैं। कुछ के घर-दुकानें भी जलाई गई हैं।
बाद में पुलिस ने कुछ उपद्रवियों को पकड़ा तो कथित तौर पर वे बांग्ला नहीं जानते और कुछ मुसलमान भी नहीं हैं। इसी आधार पर राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी वामपंथी पार्टियों तथा कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने बिहार और झारखंड से ‘बाहरी तत्वों’ को बुलाया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो कहा कि 6000-7000 रुपये पर बाहर से भाड़े पर उपद्रवी लाए गए थे। भाजपा और आरएसएस वगैरह का आरोप है कि मुस्लिम कट्टरपंथी तत्वों और बांगलदेशी इसमें लिप्त थे। इस्लामिक सेकूलर फ्रंट ने कोलकाता के नजदीक भांगड़ में भी प्रदर्शन किया।