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प्रधानमंत्री मोदी के ‘अघोषित आपातकाल’ ने लोकतंत्र को गहरा आघात पहुंचाया: मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आपातकाल के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की...
प्रधानमंत्री मोदी के ‘अघोषित आपातकाल’ ने लोकतंत्र को गहरा आघात पहुंचाया:  मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आपातकाल के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर उन पर पलटवार करते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री अपनी कमियां छिपाने के लिए अतीत को कुदरते रहते हैं, जबकि उनके शासनकाल में 10 साल के ‘‘अघोषित आपातकाल’’ ने लोकतंत्र एवं संविधान को गहरा आघात पहुंचाया है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने हमेशा लोकतंत्र और संविधान का साथ दिया है और आगे भी देती रहेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने आपातकाल लागू कर बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को कुचला, उन्हें संविधान के प्रति प्रेम जाहिर करने का कोई अधिकार नहीं है।

आपातकाल की बरसी पर मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक के बाद एक पोस्ट में कहा कि जिस मानसिकता के कारण देश में आपातकाल लगाया गया था, वह आज भी उस पार्टी में जीवित है जिसने इसे लागू किया था।

उनकी टिप्पणी के जवाब में खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी, देश भविष्य की ओर देख रहा है, आप अपनी कमियां छिपाने के लिए अतीत को ही कुरेदते रहते हैं। पिछले 10 वर्षों में 140 करोड़ भारतीय नागरिकों को आपने जिस ‘अघेाषित आपातकाल’ का आभास करवाया, उसने लोकतंत्र और संविधान को गहरा आघात पहुंचाया है।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘पार्टियों को तोड़ना, चुनी हुई सरकारों को चोर दरवाज़े से गिराना, 95 प्रतिशत विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग का दुरुपयोग करना, मुख्यमंत्रियों तक को जेल में डालना और चुनाव के पहले सत्ता का इस्तेमाल कर समान अवसर की स्थिति को बिगाड़ना..., क्या यह सब अघोषित आपातकाल नहीं है? ’’

खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी सहमति और सहयोग की बात करते हैं, पर उनके कदम इसके विपरीत हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब 146 विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित कर तीन क़ानून - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023; पारित किये गए थे तब यह सहमति वाला शब्द कहां था? ’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब संसद के प्रांगण से छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी और बाबासाहेब आंबेडकर जैसी महान विभूतियों की प्रतिमाओं को बिना विपक्ष से पूछे, एक कोने में स्थानांतरित कर दिया गया, तब यह सहमति वाला शब्द कहां था?’’

खड़गे ने कहा, ‘‘जब हमारे 15 करोड़ किसान परिवारों पर तीन काले क़ानून थोपे गए और उनको अपने ही देश में महीनों सड़कों पर बैठने के लिए विवश किया गया, उन पर अत्याचार किया गया, तब यह सहमति वाला शब्द कहां था?’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘नोटबंदी हो, आनन-फ़ानन में लागू किया गया लॉकडाउन हो, या चुनावी बॉण्ड का क़ानून हो, ऐसे सैकड़ों उदहारण है, जिस पर मोदी सरकार ने सहमति और सहयोग का उपयोग तो बिलकुल भी नहीं किया। विपक्ष को क्या, उन्होंने तो अपने ही नेताओं को अंधेरे में रखा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘17वीं लोकसभा में, इतिहास में सबसे कम - केवल 16 प्रतिशत विधेयक संसद की स्थायी समिति के समक्ष गए और लोकसभा में 35 प्रतिशत विधेयक एक घंटे से कम समय में पारित हुए। राज्यसभा में ये आंकड़ा 34 प्रतिशत है।’’

खड़गे ने दावा किया कि लोकतंत्र और संविधान की दुर्दशा भाजपा ने की है। उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस ने हमेशा लोकतंत्र और संविधान का साथ दिया है और हम आगे भी देते रहेंगे।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि देश की जनता ने 18वीं लोकसभा के लिए इस तरह से मतदान किया है कि कोई भी शासक संविधान की मूल संरचना को नहीं बदल सकता। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह भी कहा कि लोगों ने भाजपा की महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए वोट किया है।

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