भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से आपातकाल के मुद्दे पर निंदा प्रस्ताव पेश किए जाने का स्वागत किया और कहा कि इसके माध्यम से सदन ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के लोकतंत्र विरोधी चेहरे एवं उसकी तानाशाही मानसिकता को उजागर किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘संसद के इस प्रस्ताव ने आपातकाल के काले कालखंड में संविधान में किए गए कई संवेदनशील संशोधनों से एक व्यक्ति के पास सारी शक्तियों का केन्द्रीकरण करने वाली कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता को उजागर करने का काम किया है।’’
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के माध्यम से विपक्ष के लाखों नेताओं को कांग्रेस द्वारा अकारण डेढ़ साल से अधिक समय तक जेल में बंद रखे जाने संबंधी क्रूरता की निंदा करने का काम किया गया है। शाह ने कहा, ‘‘इस प्रस्ताव ने न्यायपालिका, नौकरशाही और मीडिया जैसे प्रमुख स्तंभों को आघात पहुंचाने वाली कांग्रेस की लोकतंत्र विरोधी सोच को उजागर किया है। संसदीय लोकतंत्र समाप्त करने वाली कांग्रेसी सोच की कभी पुनरावृत्ति न हो, इसके प्रति जागरूकता फैलाने का संदेश दिया है।’’
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने आपातकाल के विरोध में लाए गए प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित भारत के संविधान पर कांग्रेस द्वारा किए गए इस कुठाराघात की वह निंदा करते हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जिस प्रकार से कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने 'तानाशाही बंद करो' जैसा नारा लगाकर लोकसभा अध्यक्ष के वक्तव्य में विघ्न डालने का काम किया, मैं उसे इस प्रस्ताव के समर्थन की तरह स्वीकार करता हूं।’’
नड्डा ने कहा कि 1975 में लगा आपातकाल इस देश में तानाशाही की मिसाल था और ये वो दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया, पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर पाबंदियां लगा दी थीं और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगा दिया था। अगर कांग्रेस आपातकाल के उस दौर को लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में मान गई है, तो हम इस पहल का स्वागत करते हैं।’’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि इसके माध्यम से सदन ने आपातकाल के दौरान हुए अत्याचार और अन्याय के साथ-साथ तत्कालीन कांग्रेस सरकार के लोकतंत्र विरोधी चेहरे को उजागर किया है। उन्होंने कहा, ‘‘आपातकाल के दौरान पूरे देश में जिस तरह सामान्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचला गया और तानाशाही का राज क़ायम किया गया वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक शर्मनाक अध्याय है। यह देश अब संकल्प ले चुका है कि फिर कभी ऐसी लोकतंत्र विरोधी ताक़तें मज़बूत नहीं होने पाएंगी।’’
केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी ने कहा कि देश में लोकतंत्र और संविधान सर्वोपरि है, जिसे बचाने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ देशवासियों ने संघर्ष किया, कई लोगों ने अपना बलिदान दिया। उन्होंने कहा, ‘‘उस कटु दौर को हम कभी भूल नहीं सकते।’’ सदन में बिरला ने जब निंदा प्रस्ताव पढ़ा तो उस दौरान सदन में कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया तथा नारेबाजी की।
बिरला के प्रस्ताव पढ़ने के बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कुछ देर मौन रखा, हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी और टोकाटाकी जारी रखी। मौन रखने वाले सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य और सत्ता पक्ष के अन्य सांसद शामिल रहे।