पश्चिम बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष और सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना एक "धर्मनिरपेक्ष" नेता थे क्योंकि वह कभी भी विभाजन नहीं चाहते थे। कांग्रेस के सांप्रदायिक नेताओं के कारण भारत के टुकड़े हुए। चंद्र कुमार बोस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन 23 जनवरी को देशभक्ति दिवस घोषित करने की भी मांग की।
बोस ने कहा, "जिन्ना एक धर्मनिरपेक्ष नेता थे और वह कभी भी विभाजन नहीं चाहते थे। उन्हें कांग्रेस द्वारा मजबूर किया गया और उन्हें किनारे कर दिया गया था। उन्होंने महसूस किया कि वह भारत में सत्ता साझा नहीं कर सकते हैं, केवल इसलिए 1940 में लाहौर सम्मेलन में उन्होंने पाकिस्तान मुद्दे को उठाया था। लेकिन उससे पहले वह पाकिस्तान के पक्ष में नहीं थे। "
‘जिन्ना की मौत के बाद इस्लामिक राज्य बना पाक’
उन्होंने आगे कहा, "कांग्रेस शासन के सांप्रदायिक नेताओं के कारण भारत विभाजित हो गया। सरदार पटेल, पंडित (जवाहरलाल) नेहरू और यहां तक कि महात्मा गांधी भी जिन्होंने विभाजन को अनिच्छा से स्वीकार किया। 1955 तक पाकिस्तान एक धर्मनिरपेक्ष राज्य था। दुर्भाग्य से, जिन्ना का निधन हो गया और इसके बाद पाकिस्तान इस्लामिक राज्य बन गया। लेकिन भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य रहा और यही भारत की आत्मा है।"
23 जनवरी को देशभक्ति दिवस घोषित करने की मांग
बोस ने 23 जनवरी को 'देशभक्ति दिवस' घोषित करने की मांग को लेकर एक मार्च में भाग लिया। मार्च की शुरुआत हज़रा से मध्य कोलकाता के नेताजी भवन तक हुई। बोस ने आगे कहा कि 'जय हिंद' एक नारा था जिसका इस्तेमाल आजाद हिंद सरकार और आजाद हिंद फौज में किया गया था। बोस ने कहा, "यह सभी धर्मों, सभी समुदायों, सभी जाति और पंथों को एक करता है, इसलिए सभी राजनीतिक दलों को 'जय हिंद' का उपयोग करना चाहिए। इससे कोई कठिनाई या कोई समस्या नहीं होगी।" बोस ने कहा " हम हिंदू नहीं हैं, हम मुसलमान नहीं हैं, हम सिख नहीं हैं, हम बौद्ध नहीं हैं ... हम भारतीय (भारतीय) हैं। आजाद हिंद फौज की भावना को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत के लोग और युवा नेता, नेता जी की विचारधाराओं के लिए उठे, समावेशी हो, धर्मनिरपेक्ष हो और एक हो।"