महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच शिवसेना पर किसका नियंत्रण होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। एक तरफ उद्धव ठाकरे तो दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे दोनों ही शिवसेना पर अपना दावा कर रहे हैं। दावों की इस तीखी लड़ाई के बीच उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने शिंदे को शिवसेना के सभी पदों से मुक्त करने के साथ पार्टी से भी निकाल दिया है। शिंदे ने बीते दिन ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। उनके साथ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उनमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
पार्टी द्वारा जारी एक पत्र में बताया गया कि उद्धव ठाकरे ने कहा कि एकनाथ शिंदे “पार्टी विरोधी गतिविधियों” में शामिल रहे हैं और उन्होंने स्वेच्छा से अपनी सदस्यता छोड़ दी है। इस लेटर में कहा गया, "शिवसेना पक्ष प्रमुख के रूप में मुझमें निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं आपको पार्टी संगठन में शिवसेना नेता के पद से हटाता हूं।"
इससे पहले शुक्रवार को उद्धव ठाकरे ने भाजपा और एकनाथ शिंदे पर जमकर हमला बोला। उद्धव ठाकरे ने कहा, "जिन लोगों ने ढाई साल पहले अपना वादा पूरा नहीं किया और शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपकर...वे एक बार फिर से (शिंदे) को शिवसेना का मुख्यमंत्री बताकर शिवसैनिकों के बीच संशय पैदा किया जा रहा है। वह (शिंदे) शिवसेना के मुख्यमंत्री नहीं हैं। शिवसेना को अलग रखने से शिवसेना का कोई मुख्यमंत्री नहीं हो सकता।"
उद्धव ठाकरे ने भाजपा से पूछा कि उसने पहले क्यों इनकार किया कि ढाई साल पहले बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद लिए जाने के संबंध में कोई समझौता नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा मानती तो सत्ता परिवर्तन शालीनता और गरिमापूर्ण ढंग से होता। उन्होंने यह भी पूछा कि भाजपा को इससे क्या हासिल हुआ जब उसके पास बाकी कार्यकाल के लिए भी अपना मुख्यमंत्री नहीं है। ठाकरे ने कहा कि एकनाथ शिंदे "शिवसेना के मुख्यमंत्री नहीं हैं।"
बता दें कि करीब दो हफ्ते पहले एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत कर दी थी और इसके बाद गुरुवार (30 जून) को उन्होंने बीजेपी से मिलकर सरकार बनाई। शिंदे के खेमे में शिवसेना के 39 विधायक हैं और उनका कहना है कि असली शिवसेना उनकी है।
हालांकि शुक्रवार को उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया कि एकनाथ शिंदे शिवसेना के मुख्यमंत्री नहीं है। मौजूदा परिस्थिति के अनुसार उद्धव ठाकरे के खेमे में 16 विधायक हैं।