पटना के गांधी मैदान में आयोजित भाजपा के कार्यकर्ता समागम में ही पार्टी नेताओं की अंदरुनी लड़ाई सामने आ गई। एक तरफ पार्टी के एक सांसद नाराज हो गए तो दूसरी ओर स्थानीय सांसद ने समागम में हिस्सा नहीं लिया। इस साल बिहार विधानसभा के चुनाव में जीत की उम्मींद के साथ भाजपा ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर कार्यकर्ता समागम का आयोजन किया था जिसमें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई नेताओं ने हिस्सा लिया।
बुधवार को दिल्ली में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के घर जनता परिवार के नेताओं की बैठक होगी। जिसमें सभी दलों के विलय को लेकर फैसला किया जाएगा। बैठक में इस बात पर अंतिम फैसला होगा कि जनता परिवार के सभी दलों का नया नाम क्या होगा।
आम आदमी पार्टी के बागी गुट ने स्वराज संवाद की घोषणा के बाद अपनी रणनीति का खुलासा किया। स्वराज संवाद अभियान शुरू करने के बाद प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पहली दफा मीडिया से रूबरू हुए।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि मुख्य सूचना आयुक्त और केन्द्रीय सूचना आयोग में तीन अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को तेज किया जाए और इसकी प्रगति के बारे में 11 मई तक सूचित किया जाए क्योंकि इन रिक्तियों के कारण मामलों का बड़ा अंबार लग गया है।
आने वाली फिल्म ‘गब्बर इज बैक’ में चित्रांगदा सिंह का एक आइटम सांग है। फिल्मी दुनिया में यह बहुत ही बोल्ड ढंग से फिल्माया गया गाना है जिसके लिए चित्रांगदा ने भी सारी हदें तोड़ दी हैं। अब देखना यह है कि ‘राजा कुंडी न खड़काओ’ के लिए उनके कितने प्रशंसक अपने दिल के दरवाजे पर यह दस्तक महसूस करते हैं।
उत्तराखंड के रामनगर में दो पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया है। हमले में स्वतंत्र पत्रकार और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। प्रभात को हद्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पिछले दो महीने में दो अलग-अलग न्यायालयों ने आरक्षण को लेकर एक ही बात कही है। दोनों ही बार कोर्ट ने आरक्षण नीति जारी रखने को उचित कहा है लेकिन यह भी कहा है कि आरक्षण नीति में बदलाव, बल्कि इस पर सतत चिंतन की जरूरत है। यह राजनीतिक तौर पर संवेदनशील मसला तो है लेकिन इस पर जो राजनीति होती रही है, उससे नीति का मकसद पूरा नहीं हो रहा है। वैसे, राजनीतिक दल इसे लेकर रोटी सेंकने की जब भी कोशिश करते हैं, उनके हाथ में फफोले ही पड़े हैं। यह तो सब जानते ही हैं कि मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने वाली वीपी सिंह सरकार लौटकर सत्ता में नहीं आई।