राजस्थान के नागौर जिले के डांगावास गांव में दबंग जाट जाति के एक व्यक्ति की हत्या के बाद में तीन दलितों को ट्रैक्टर से रौंद कर मार डालने की घटना के बाद सामाजिक तनाव गहरा गया है।
बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा में पांच महीने से भी कम के समय को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सवर्ण वोटरों को लुभाने का दांव चला है। नीतीश ने सवर्ण जातियों के गरीब छात्रों की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति और नकद सहायता जैसे कदमों की घोषणा की है।
जातिगत उत्पीडऩ और भेदभाव के खिलाफ मुखर होता दलित डायस्पोरा इससे चिंतित।भारतीय डायस्पोरा का यह दलित स्वर या दलित डायस्पोरा दुनिया के तमाम बड़े देशों में धीरे-धीरे मजबूत होता दिख रहा है। गैर दलित डायस्पोरा ने तो बड़ी तादाद में (सबने नहीं) अपनी राजनीति स्पष्ट कर दी है, अपना झुकाव स्पष्ट कर दिया है, दलित डायस्पोरा अभी उसके साथ खड़ा नहीं दिख रहा। भारत की नई सरकार से उसे भी अपेक्षाएं हैं। वह भी बेहतर सुविधाओं और व्यापार की संभावनाओं के प्रति आशावान है लेकिन जाति तथा जातिगत उत्पीडऩ के सवाल पर फिलहाल कोई समझौता करता नहीं दिखता।