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Search Result : "अभय कुमार दुबे"

उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन के प्रयास

उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन के प्रयास

जमाना फार्मूले का है। राजनीति भी इससे अछूती नहीं। अब देखिए ना बिहार में गठबंधन का फार्मूला हिट हुआ तो अब उसे उत्तर प्रदेश में भी दोहराने की जुगत लगाई जा रही है। हालांकि शुरूआती दौर में बड़े खिलाड़ी अभी पर्दे के पीछे हैं मगर बातचीत के दौर बता रहे हैं कि बात तो बनकर ही रहेगी। बिहार के नायक नीतीश कुमार इस बार पूरी तरह स्वयं कमान संभाले हुए हैं, उनकी पार्टी जद (यू) के अध्यक्ष शरद यादव तो पिछली सीट पर ही बैठे हैं।
अभी तक जेएनयू घटना के लश्कर से जुड़ाव का सबूत नहीं: बस्सी

अभी तक जेएनयू घटना के लश्कर से जुड़ाव का सबूत नहीं: बस्सी

जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी को उचित ठहराते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त बी एस बस्सी ने सोमवार को दावा किया कि कन्हैया ने परिसर में विवादित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रविरोधी नारे लगाए थे लेकिन पुलिस को अब तक जेएनयू की घटना का लश्करे तैयबा से जुड़ाव का सबूत नहीं मिला है।
कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी नहीं कहिए: कन्हैया की मां

कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी नहीं कहिए: कन्हैया की मां

जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मां ने अपील करते हुए कहा, कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी मत कहिए। कन्हैया की मां मीना देवी एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं और साढ़े तीन हजार रूपये प्रति माह कमाती हैं।
राजनाथ का दावा-जेएनयू प्रदर्शन को हाफिज सईद का समर्थन, विपक्ष ने मांगे सबूत

राजनाथ का दावा-जेएनयू प्रदर्शन को हाफिज सईद का समर्थन, विपक्ष ने मांगे सबूत

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यह दावा कर राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया कि जेएनयू में पिछले दिनों संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के विरोध में हुए कार्यक्रम को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का समर्थन मिला था। राजनाथ के बयान के तुरंत बाद विपक्षी पार्टियों ने मांग की कि गृह मंत्री जेएनयू परिसर में हुए कार्यक्रम को लेकर किए गए अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत दें।
स्मार्ट सिटी की सियासत

स्मार्ट सिटी की सियासत

स्मार्ट सिटी बनाने की केंद्र सरकार की जो पहल है वह सियासी रुप ले रही है। बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लोगों की नाराजगी इस बात पर है कि पहले चरण में इन राज्यों से स्मार्ट सिटी के रुप में किसी शहर को नहीं शामिल किया गया।
जेएनयू विवाद: गृह मंत्री से मिले वाम नेता, बोले कन्हैया को रिहा करें

जेएनयू विवाद: गृह मंत्री से मिले वाम नेता, बोले कन्हैया को रिहा करें

जेएनयू में कथित देश विरोधी नारेबाजी का मामला गंभीर होता जा रहा है। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी को लेकर वाम दलों के नेताओं ने शनिवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात में वाम नेताओं ने गृह मंत्री से कन्हैया कुमार की रिहाई के साथ ही मामले की गंभीरता से जांच की मांग की। मिली जानकारी के अनुसार शनिवार दोपहर बाद वाम नेताओं ने इस मामले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की है।
कन्हैया की गिरफ्तारी पर जेएनयू में एकत्र हुए वाम और कांग्रेस नेता

कन्हैया की गिरफ्तारी पर जेएनयू में एकत्र हुए वाम और कांग्रेस नेता

जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी के आरोप में छात्र संघ अध्यक्ष को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में आयोजित एक विरोध सभा में विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा सचिव डी राजा के अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए जेएनयू परिसर पहुंचे। विरोध में हिस्सा लेकर नेताओं ने छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई की मांग की। इस बीच, सरकार ने जोर देकर कहा कि इस प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी को देशद्रोही गतिविधियों का अड्डा नहीं बनने दिया जा सकता।
आवरण कथाः कोचिंग का धंधा, कितना स्याह, कितना सफेद

आवरण कथाः कोचिंग का धंधा, कितना स्याह, कितना सफेद

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से अटक तक कोचिंग का धंधा औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पांव पसार चुका है और इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता। बिहार के मूल निवासी पीयूष कुमार गुजरात के अहमदाबाद में बैंक अधिकारी हैं। परिवार में पत्नी के अलावा सिर्फ एक बेटा है जो दसवीं की परीक्षा पास कर चुका है। मगर बेटा और पत्नी उनके साथ नहीं रहते। दोनों राजस्थान के कोटा में हैं जहां बेटा आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए एक नामी कोचिंग सेंटर में तैयारी कर रहा है। एक और उदाहरण देखें:ओडिशा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी श्वेता कुमारी इंजीनियरिंग क्षेत्र में मंदी के कारण बैंक की नौकरी की तैयारी कर रही हैं। सिलीगुड़ी के अपने घर में रहकर उसने परीक्षा दी मगर लिखित परीक्षा की बाधा पार नहीं हो पाई। उसने दिल्ली का रुख किया और यहां एक कोचिंग से बैंकिंग की तैयारी के बाद पहली बार में ही रिजर्व बैंक और बैंक पीओ की लिखित परीक्षा पास कर ली। ये दो उदाहरण देश में कोचिंग के पूर्ण विकसित हो चुके धंधे की कहानी बयां करते हैं। जरा 15 साल पहले का जमाना याद करें जब कोचिंग का मतलब आपके घर में ही आस-पड़ोस के किसी बेरोजगार युवक द्वारा आपके बच्चों को पढ़ाई में थोड़ी-बहुत मदद कर देना होता था। अब अगर बच्चे को डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजर, प्रशासनिक अधिकारी या किसी सरकारी दफ्तर में क्लर्क ही बनना हो तो औपचारिक शिक्षा की डिग्री के साथ-साथ किसी कोचिंग संस्था का मार्गदर्शन होना अनिवार्य है अन्यथा गला काट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में उसका पिछड़ना तय है। सीधे शद्ब्रदों में कहें तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से अटक तक कोचिंग का धंधा औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पांव पसार चुका है और इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता। साल 2013 में हुए एक आकलन के मुताबिक भारत में कोचिंग इंडस्ट्री लगभग 23.7 अरब डॉलर (160.16 अरब रुपये) की थी, जिसके साल 2015 में 40 अरब डॉलर (270 अरब रुपये) के होने की भविष्यवाणी की गई थी और अगले पांच वर्षों में यह 500 अरब रुपये तक पहुंच सकती है।
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