Advertisement

Search Result : "अमेरिकी हमले"

भारत से प्रभावित है पाक की अफगान नीति: अमेरिकी जनरल

भारत से प्रभावित है पाक की अफगान नीति: अमेरिकी जनरल

अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति को बताया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है और इस तनाव से पाकिस्तान की अफगानिस्तान में रणनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
जिंदल लड़ सकते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव

जिंदल लड़ सकते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव

भारतीय मूल के राजनेता बॉबी जिंदल अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते हैं। उनका कहना है कि अगले दो महीने के भीतर वह इस सिलसिले में फैसला कर लेंगे।
दस लाख का सूट 4.31 करोड़ का

दस लाख का सूट 4.31 करोड़ का

छब्बीस जनवरी 2015 को अपने नाम के परिधान के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को लुभाने का प्रयास किया था आखिरकार वह परिधान 4 करोड़ 31 लाख रुपये में नीलाम हो गया।
अमेरिकी एनएसए से मिले जयशंकर

अमेरिकी एनएसए से मिले जयशंकर

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा को एक महीने होने को आए मगर ऐसा लगता है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत की राह कोई खास आगे नहीं बढ़ सकी है। अब भी दोनों देश सिर्फ बातचीत आगे बढ़ाने की बात ही कर रहे हैं।
नाइजीरिया में बोको हराम के हमले में 38 की मौत

नाइजीरिया में बोको हराम के हमले में 38 की मौत

उत्तर पूर्वी नाइजीरिया में दो आत्मघाती हमलों में कम से कम 38 लोग मारे गए। देश में 28 मार्च को चुनाव होने हैं और बोकोहरम के नेता ने मतदान में व्यवधान डालने की धमकी दी है।
कौन खरीदेगा प्रधानमंत्री का लखटकिया सूट

कौन खरीदेगा प्रधानमंत्री का लखटकिया सूट

आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने विवादित 10 लाख रुपये के सूट को तिलांजलि देनी ही पड़ी। प्रधानमंत्री के नाम की पट्टी वाले इस सूट की नीलामी प्रधानमंत्री मोदी को मिले 455 तोहफों के साथ हो रही है।
सरकार की शह पर चर्चों पर हमले

सरकार की शह पर चर्चों पर हमले

राजधानी में चर्चों पर हो रहे हमलों की मुखालफत करने वालों पर आज हुए लाठीचार्ज के साफ मायने हैं क‌ि हिंदुतत्वादी ताकतें अलपसंख्यकों को डराना चाहती हैं, उनमें असुरक्षा की भावना पैदा करना चाहती हैं।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?