‘कैसी होगी भारत में हो रहे बदलाव की नई इबारत?’ धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों की यह चिंता नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब के एक कार्यक्रम में उभर कर आई।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पत्रकारिता का देश के सामाजिक सुधार के साथ लोगों में जागरुकता लाने में अहम योगदान है। राष्ट्रपति ने कहा कि देश की आजादी से लेकर वर्तमान में पत्रकारिता ने कई आयामों की स्थापना की है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि विश्वविद्यालयों और अकादमिक संस्थानों को निर्बाध बौद्धिक बहस के लिए पूर्वाग्रह, हिंसा या किसी कट्टर सिद्धांत से अवश्य ही मुक्त होना होगा। नालंदा में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के विदाई सत्र में मुखर्जी ने कहा कि नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला के प्राचीन शिक्षण केंद्रों ने छात्रों और शिक्षकों के रूप में दुनिया भर से मेधावी लोगों को आकर्षित किया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को देश के विकास में महिलाओं के अमूल्य योगदान की सराहना की और लोगों से लैंगिक समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए कहा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा है कि क्षेत्र में बदलती भू-राजनीतिक स्थिति के बीच भारत की प्रगति और सुरक्षा पर बुरा प्रभाव डालने का इरादा रखने वालों के खिलाफ कड़े प्रतिरोध की जरूरत है।
साहित्योत्सव के चौथेदिन ‘आमने-सामने’ कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता हिंदी लेखिका नासिरा शर्मा ने कहा, विभाजन की हिंसा से जहां लोग सीधे प्रभावित हुए, वहीं वतनपरस्त मुसलमानों को मानसिक प्रताड़ना ज्यादा झेलनी पड़ी। वे अशोक तिवारी के सवालों के जवाब दे रही थीं।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि बहुलतावाद के लिए सहनशीलता, सभी के लिए करुणा और मातृभूमि के लिए प्रेम भारत के प्रमुख सभ्यतागत मूल्य हैं, जहां सैकड़ों भाषाएं और सभी प्रमुख धर्म एक ही व्यवस्था में रहते हैं।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपने आभामण्डल को बचाने की भरपूर कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके जहन में असुरक्षा घर कर गई है जिसकी वजह से उनका यह प्रयास बेकार जा रहा है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत में पहली बार बजट सत्र को समय से पहले आहूत करने और उसके साथ ही रेल बजट को विलय करने का उल्लेख करते हुए आज कहा कि लोकतंत्र के इस उत्सव के मूल्य एवं संस्कृति देश के लंबे इतिहास के हर दौर में फलते-फूलते रहे हैं। उनके संबोधन की शुरुआत और समापन सबका साथ, सबका विकास उक्ति से हुई।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की पुरजोर वकालत करने के साथ ही नोटबंदी का भी समर्थन किया है। इन दोनों मुद्दों पर वर्तमान केंद्र सरकार का जोर रहा है। प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाये।