अमेरिका यात्रा के आखिरी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैलिफोर्निया के सैप सेंटर में भारतीय समुदाय के करीब 18 हजार लोगों को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने सरकार की उपलब्धियां गिनाने के अलावा आतंकवाद पर भी करारा प्रहार किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार को सत्ता में आए 16 महीने हुए हैं और भारत के बारे में दुनिया की सोच में जबर्दस्त बदलाव आया है। हमने इतना विकास किया है कि हर दिन दो-दो घंटे बोलूं, तब भी 15 दिन लग जाएंगे। दुनिया मानने लगी है कि 21वी सदी भारत की होगी। उन्हें विश्वास है कि भारत को सफलता प्राप्त होगी क्योंकि देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से जो छात्र डाॅक्टर बनकर निकल रहे हैं, उसमें से 54 प्रतिशत डाॅक्टर विदेश चले जाते हैं और लौटकर भारत नहीं आते। रिपोर्ट यह भी कहती है कि हिन्दी माध्यम से स्कूल की पढ़ाई अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने वाले छात्र जब एम्स जैसी संस्था में पढ़ने जाते हैं, तो भाषाई स्तर पर पिछड़ने की वजह से उनमें से कई तो आत्महत्या तक कर लेते हैं। यही वजह है कि अब एमबीबीएस की परीक्षा हिंदी में कराने की मुहिम तेज हो गई है।
डेंगू के डंक ने अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी प्रताप पहलवान कबलाना को ऐसा चित किया कि वह जिंदगी की बाजी ही हार गया। पहलवान का इलाज गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में चल रहा था। पहलवान की मौत से पूरे खेल जगत में शोक की लहर है।
झीलों के शहर से हिंदी की सुरलहरी की अनुगूंज विश्व भर में गूंजी। देश-विदेश से आए लोग इस दिवस का हासिल है। साक्षीजनों के बीच से जो संदेश निकलकर आया, उसके अर्थ और निमित्त बहुत ही दूरगामी है।
विवादों के बीच भोपाल में शुरू हुआ 10वां विश्व हिंदी सम्मेलन बगैर कोई छाप छोड़े समाप्त हो गया। पूरे कार्यक्रम के आयोजन में इसके उद्घाटन और समापन पर ही आयोजकों का सारा फोकस था। पर उसके बावजूद कार्यक्रम पूरी तरह से अपने उद्देश्यों से दिशाहीन होकर समाप्त हो गया। विवादों का ही असर हुआ जिसके चलते सदी के महानायक अमिताभ बच्चन इसके समापन समारोह में अपने पहले से तय कार्यक्रम के बावजूद नहीं आए।
भोपाल में चल रहे 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में साहित्यकारों और साझी संस्कृति की अवहेलना पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। वरिष्ठ कवि सरकारी रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए, इसे हिंदी भाषा का अपमान और हिंदू सम्मेलन की संज्ञा देते है
मुंबई लोकल ट्रेनों में विस्फोट कर 188 लोगों की जान लेने वाले 12 लोगों को नौ साल बाद मकोका अदालत ने दोषी ठहराया। फैसला सुनाते हुए मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिन्दे ने मामले में 12 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए एक अन्य आरोपी अब्दुल वाहिद शेख को बरी कर दिया।