प्रधानमंत्री के आह्वान पर हैशटैग #SelfieWithDaughter टॉप ट्रेंड तो रहा ही साथ ही बेटियों संग सेल्फी खींच सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पोस्ट करने का सिलसिला थम नहीं रहा। न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में लोगों ने अपनी बेटियों के साथ सेल्फी खींची और पोस्ट की लेकिन इस बीच गुजरात की एक ऐसी बेटी ने अपने कत्ल हो चुके अब्बा के साथ अपनी एक सेल्फी पोस्ट कर प्रधानमंत्री के नाम संदेश लिखा। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इस समय वायरल हो चुकी यह सेल्फी और संदेश एहसान जाफरी की बेटी निशरीन जाफरी हुसैन का है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आज विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनसे सीधा संवाद स्थापित करने की कोशिश की, सोनिया गांधी की जगह खुद केंद्रक के रूप में दावेदारी
यह किस्सों का संकलन है। मुजफ्फरपुर बिहार में तवायफों की एक 100 साल से पुरानी बस्ती है चतुर्भुज स्थान, जो बहुत प्रसिद्ध रहा है। उसके 100 साल के इतिहास को जानने-समझने की एक विनम्र कोशिश है यह किताब। इसमें उनके उत्थान के किस्से हैं, उनके पतन की नजीरें हैं।
कोठागोई का एक उद्देश्य है आज की पीढ़ी का परिचय कोठों की उस संस्कृति से करवाना जो कभी तहजीब का केंद्र होता था, बाद में उसका रूप, उसकी पहचान बदलती गई। इसमें उन किरदारों के सुख हैं, दुःख हैं, गीत है, संगीत है जिनको न इतिहास ने याद किया न संस्कृति के अलंबरदारों ने।
इस किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हो रहा है।
मौसम विभाग के अनुमानों पर पानी फेरता हुए मानसून पिछले हफ्ते भर से श्रीलंका के आसपास ठहरा हुआ है। मौसम विभाग ने अब 4 जून तक मानसून के केरल तट पर पहुंचने की उम्मीद जताई है।
पीडीपी और भाजपा की सरकार में हितों और वोटबैंक का टकराव शुरू। जम्मू-कश्मीर की नई सरकार बनने के बाद से लगातार खबरों में बनी हुई है। राज्य के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को छोड़ने के बाद क्या तीन और कट्टरपंथी राजनीतिक कैदियों को छोड़ने का साहस जुटाएगी, जिसमें आशिक हुसैन फक्टू का नाम भी शामिल है।
हम गांव की चिंता में भटकते राहुल की चल और अचल तस्वीरें देखते हैं लेकिन अभी जानते कि गांवों को खुशहाल बनाने की उनकी नीतियां क्या हैं और वह इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाने वाले हैं। हम गरीबों से राहुल के मेलजोल की कोशिशों के बाबत पढ़ते हैं और भरोसा करने को तैयार हैं कि वह उनकी हालत बिना किसी बिचौलिए के जानने चाहते हैं जिस देश में गरीबों के लिए बनी योजनाओं का लाभ अक्सर फर्जी गरीब उठा लेते हैं वहां अब हम जानना चाहते हैं कि राहुल सही गरीबों की शिनाख्त का कौन सा बेहतर तरीका अपनाएंगे। हम जानते हैं क अपने पिता राजीव गांधी की तरह राहुल गांधी भी चिंतित हैं कि गरीबों के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रत्येक रुपये में सिर्फ 15 पैसे उन तक पहुंचते हैं लेकिन हमारी अब यह जानने की भी अपेक्षा है कि विचौलियों द्वारा चट हो रहे बाकी के 85 पैसे राहुल गरीबों तक कैसे पहुंचाएंगे। हम जानते हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना को राहुल गांधी अपनी यूपीए सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं और उसे पूरे देश में फैलाना चाहते हैं, शहरों मे भी, लेकिन हम यह भी जानना चाहते हैं कि वह इस योजना में व्यापक धांधली कैसे रोकेंगे, कैसे सुनिश्चित करेंगे कि सही लोगों को जॉब कार्ड मिले, काम पर आए मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिल पाए और इस योजना के जरिये गांवों में पक्के आधारभूत ढांचे भी बन पाएं।