आतंकी संगठन आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) भारत में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में देशविरोधी नारेबाजी के बाद मचे हंगामे का फायदा उठाना चाहता था। आईएसआईएस की गतिविधियों से संबंधित एक संदिग्ध आतंकियों के राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सामने दिए बयान के बाद इस तरह की जानकारी सामने आई।
अमेरिका में मुस्लिमों का प्रवेश अस्थायी तौर पर प्रतिबंधित करने की बात कह चारों ओर से आलोचना का सामना करने वाले डोनाल्ड ट्रंप अब अपने कट्टर रूख में कुछ नरमी लाते दिखाई पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उनका बयान समस्या को निपटा लिए जाने तक के लिए महज एक सुझाव ही था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी आज जारी रिपोर्ट में एक बार फिर इस बात पर जोर दिया है कि दिल्ली के साथ-साथ ग्वालियर, इलाहाबाद, पटना और रायपुर के अलावा दूसरे कई भारतीय शहरों की हवा में प्रदूषण की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गयी है और इससे निपटने की तत्काल जरुरत है।
आतंकवाद के बढ़ते खतरे से उपजी चुनौती को भयावह करार देते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वह इस अभिशाप से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करे। इसके साथ ही भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त न करने के लिए वास्तविक एवं प्रभावी वैश्विक सहयोग जरूरी है।
भारत और अमेरिका के बीच कल से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत दो दिन की द्विपक्षीय वार्ता शुरू होगी। यह बातचीत अमेरिका द्वारा अस्थायी कार्य वीजा के लिए उच्च शुल्क लगाने के मुद्दे पर हो रही है।
बांग्लादेश ने आज पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब किया और युद्ध अपराधों की सुनवाई पर पाक की टिप्पणी का विरोध किया। 1971 के युद्ध अपराधों के सिलसिले में जमात-ए-इस्लामी प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी की मौत की सजा की पुष्टि के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर इस्लामाबाद की ओर से नकारात्मक टिप्पणी की गई थी।
प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रति वैचारिक रुझान रखने के संदेह में दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए 10 युवकों को पर्याप्त सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया है। हिरासत में लिए गए अन्य चार युवकों को शनिवार को ही रिहा कर दिया गया था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ की चुप्पी बहुत कुछ कह रही है। खबर है कि वह जल्द ही अपना मुंह खोलेंगे। सूत्रों के मुताबिक सरकार के दो साल पूरे होने और कांग्रेस के अंदर कुछ बड़े बदलाव का इंतजार कर रहे कमलनाथ कुछ खुलासा करने वाले हैं।
उत्तराखंड में 24 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का काम पिछले कई वर्षों से लटका पड़ा है। गैर सरकारी संगठनों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का कहना है कि इन परियोजनाओं की वजह से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।