प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे को लेकर पाकिस्तानी फौज और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई चिंता में है। उन दोनों संगठनों के अफसरों का मानना है कि भारतीय प्रधानमंत्री के विदेश दौरे में हुए समझौतों के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान हाशिए पर आ गया है। अमेरिका के साथ भारत की नजदीकी पाकिस्तान का सिरदर्द बढ़ा ही रही थी। हाल में ईरान, कतर और अफगानिस्तान के दौरों में भारत ने जो हासिल किया है, उससे पाकिस्तानी एजेंसियां चिंतित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच देशों के दौरे में दो देशों के एजेंडे पर खास निगाह है। अफगानिस्तान और स्वीट्जरलैंड। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो ऐसी गतिविधियां हैं, जो भारतीय विदेश नीति को नया मोड़ देंगी। एक ओर, पाकिस्तान की तालिबान समर्थक विदेशी नीति को चोट पहुंचाने की कवायद है। ईरान से होकर अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारा विकसित करने के भारत के एजेंडे में अफगानिस्तान और करीब आया है। दूसरी ओर, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता की कवायद है, जिससे भारत दुनिया के एलीट देशों के क्लब में शुमार हो जाएगा।
अफगानिस्तान सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश के शीर्ष नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। एकदिवसीय संक्षिप्त यात्रा पर शनिवार को अफगानिस्तान पहुंचे पीएम मोदी को वहां के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, अमीर अमानुल्ला खान अवार्ड से नवाजा गया। इस अवसर पर पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि भारत हर मुश्किल में अफगानिस्तान के साथ खड़ा रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को अपनी पांच देशों की यात्रा के पहले पड़ाव में अफगानिस्तान के लिए रवाना हो गए। पीएम कतर, स्विटजरलैण्ड, अमेरिका और मैक्सिको भी जाएंगे। यात्रा के पहले चरण में वह अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भारत-अफगान मैत्री सहयोग कार्यक्रम के तहत निर्मित सलमा बांध का उद्घाटन करेंगे। पीएम की इस यात्रा का मुख्य मकसद इन देशों के साथ भारत के व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग को विस्तार देना और संबंधों को नई गति प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा से भारत-ईरान के मजबूत होते रिश्तों पर अमेरिका बेहद करीब से नजर रख रहा है। चाबहार बंदरगाह के लिए 50 करोड़ डॉलर निवेश की भारत की घोषणा को लेकर ओबामा सरकार ने सांसदों से कहा है कि अमेरिका ईरान के साथ भारत के बढ़ते रिश्तों पर बहुत करीब से निगाह रख रहा है और देखेगा कि क्या इसके कानूनी पहलु और जरूरतें पूरी की गई हैं या नहीं।
विश्व के अनेक देश आतंकवाद को लेकर गंभीर तो दिख रहे हैं लेकिन इन आतंकी संगठनों का मुकाबला कैसे किया जाए इस पर सहमति नहीं बन पा रही है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका को ही ले लें। वह एक ओर तो आतंकवाद से लड़ने की बात करता है और दूसरी ओर लगातार आतंकवादियों को बढ़ावा देने वाले देशों का समर्थन करता है।
अफगान तालिबान ने अपने पूर्व नेता मुल्ला अख्तर मंसूर की अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने की पुष्टि करते हुए बुधवार को समूह के नए नेता के नाम की घोषणा कर दी। आतंकवादी समूह ने हैबतुल्ला अखुंदजादा को अपना नया नेता नियुक्त किया है।
पीएम नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दूसरे दिन सोमवार को दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर दस्तखत हुए। इनमें रणनीतिक तौर पर बेहद अहम चाबहार बंदरगाह को लेकर हुआ समझौता भी शामिल है। दोनों देश कट्टरपंथ और आतंकवाद से लड़ने में सहयोग पर भी सहमत हुए।