काबुल के मध्य में आज तालिबान आतंकियों ने आत्मघाती विस्फोट किया जिसके चपेट में आकर 28 लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए। विस्फोट के बाद सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच भारी गोलीबारी भी हुई है।
सोशल मीडिया से जागरुकता बढ़नी चाहिए अथवा संकीर्ण विचारों को फैलाया जाए? यह सवाल विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की ईरान यात्रा के दौरान राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात के दौरान पहनी लिबास पर सोशल मीडिया में चली निरर्थक बहस से उठता है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कल दो दिन की ईरान यात्रा पर रवाना होंगी। उनकी इस यात्रा का मकसद तेल एवं व्यापार सहित विभिन्न क्षेत्रों में ईरान के साथ सहयोग बढ़ाना है। सामरिक तौर पर काफी अहम माने जाने वाला ईरान एक ऐतिहासिक परमाणु करार के तहत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के खत्म होने के बाद अब पहले की तरह कारोबार बहाल करने के लिए तैयार है।
खुद को भारत का दोस्त बताने वाले अमेरिका ने साल 2005 में अफगानिस्तान के कंधार और जलालाबाद में भारतीय दूतावासों की संयुक्त निगरानी का प्रस्ताव पाकिस्तान के सामने रखा था।
भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अनेक हिस्सों में आज भूकंप के तीव्र झटके महसूस किए गए। घबराए हुए लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। भूकंप विज्ञान के राष्ट्रीय केंद्र के अनुसार भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान और पाकिस्तान से सटा हिंदूकुश पर्वतमाला में जमीन से करीब 130 किलोमीटर नीचे था।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर समेत पाकिस्तान के अनेक हिस्सों में आज 7.1 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और घबराए हुए लोग अपने घरों से बाहर निकल आए।
ब्रसेल्स में आईएसआईएस के आतंकी हमले को सिर्फ तात्कालिक मामले के रूप में देखना इस समस्या का सरलीकरण करना होगा। दरअसल यूरोप पर हाल के दिनों में बढ़े आतंकी हमले के बीज इस्लाम और ईसाइयत के बीच सदियों से चले आ रहे टकराव में छिपे हैं।
भले ही डोनाल्ड ट्रंप अबतक रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की दावेदारी हासिल नहीं कर पाए हों मगर उन्होंने अभी से यह बताना शुरू कर दिया है कि राष्ट्रपति चुने जाने के बाद वह क्या बदलाव लाने जा रहे हैं। इस कड़ी में उनकी ताजा धमकी ने पूरे विश्व समुदाय को चिंतित कर दिया है।
दुनिया बदल रही है। दस वर्ष पहले किसने कल्पना की होगी कि हवाना की वायु सीमा में अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान उड़ सकता है? किसने सोचा होगा कि इस्लामी साम्राज्य के नाम पर होने वाले अंतरराष्ट्रीय युद्ध में ईरान जैसा कट्टरपंथी देश अपने दशकों पुराने दुश्मन अमेरिका और उसके सहयोगी यूरोपीय देशों के साथ खड़ा दिखाई देगा?