आधुनिक बांग्ला साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठित कवि शंख घोष को वर्ष 2016 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा। दो दशकों के बाद किसी बांग्ला लेखक को देश का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया है।
उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है। इसके अलावा उर्दू और हिंदी छोटी और बड़ी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है।
मंच के कवि होने के साथ-साथ राजनीति में भी सक्रिय कुमार विश्वास के मुताबिक केंद्र की सरकारों ने उन्हें अपेक्षित सम्मान नहीं दिया और राजनीतिक विचार नहीं मिलने के कारण उन्हें सरकारी कार्यक्रमों तक में आमंत्रित नहीं किया जाता।
उर्दू भाषा में कहानियां बयान करने की विधा दास्तानगोई 20वीं सदी की शुरूआत की कई महान हस्तियों की जिंदगी के सफर को समेटे हुए है जिनमें गांधी के मोहनदास से महात्मा बनने की कहानी भी शामिल है।
पंजाब के दीनानगर के घेसल गांव में दो बैलून मिले हैं, जिन पर कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से उर्दू में एक संदेश लिखा हुआ है। गौरतलब है कि दीनानगर में पिछले वर्ष आतंकी हमला हुआ था।
पुराने लेखकों और कवियों की अच्छी तस्वीरें इंटरनेट पर शायद ही मिलती हैं। ऐसी स्थिति का सामना हम में से ज्यादातर लोग करते तो हैं लेकिन इस स्थिति का हल नहीं निकाल पाते हैं। ऐसे में एक कलाकार कई तरह के कला माध्यमों का सहारा लेकर पूराने लेखकों-कवियों की पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है।
बिहार में बेशक गठबंधन सरकार में कांग्रेस शामिल है लेकिन अल्पसंख्यक मुद्दे पर पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और विधायक डॉ. शकील अहमद खान राज्य सरकार की नीतियों से कतई खुश नहीं। खासकर उर्दू भाषा के प्रोत्साहन के मामले में उन्होंने इन दिनों राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है।
वरिष्ठ पत्रकार, कवि, अनुवादक और समालोचक नीलाभ अश्क का लंबी बीमारी के बाद शनिवार की सुबह निधन हो गया। नीलाभ जाने-माने साहित्यकार उपेंद्र नाथ अश्क के बेटे थे।
रमजान के पाक महीने में हाईटेक युवा पीढ़ी के रोजेदारों के लिए मोबाइल टेक्नोलॉजी वरदान साबित हो रही है। मोबाइल एप्लीकेशंस ने उर्दू और अरबी पठन-पाठन के धुंधलाते माहौल की वजह से दीन की बारीकियों से लगभग महरूम हो चुकी नई पीढ़ी को रमजान के फायदों से रूबरू कराने का अच्छा जरिया मुहैया कराया है।
पहली दफा भारत की सउदी अरब से शिक्षा के आदान-प्रदान को लेकर बातचीत जारी है। इस दिशा में कई अहम कदम उठाए गए हैं। हाल ही में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के वीसी जफर सरेशवाला दक्षिण-पश्चिम सउदी अरब के आभा में स्थित किंग खालिद यूनिवर्सिटी में शिरकत करने गए थे, जहां दोनों देशों के बीच शिक्षा को लेकर कई मसौदों पर बातचीत हुई।