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Search Result : "उर्दू लेखक"

उर्दू अदब की कहानी,शायर हनफी की जुबानी

उर्दू अदब की कहानी,शायर हनफी की जुबानी

‘गजल एक लंबी यात्रा तय करती हुई, वस्ल की रात, महबूब की जुल्फें, हिज्र, सनम की बेरुखी, रुखसार, हुस्न और इश्क के सांचे से निकल चुकी है।‘ ऐसा कहना है कि उर्दू के मशहूर अफसानानिगार और गजलकार मुजफ्फर हनफी का। वह कहते हैं, ‘ लोग मानते हैं कि गजल औरतों से गुफ्तगू करने का नाम है, जो इश्कमिजाजी से लबरेज रहती है जबकि गजल अब विषय पर केंद्रित हो चुकी है। यहां तक कि गालिब जैसों ने भी विषयों पर गजलें लिखी है लेकिन यह अलग बात है कि गजल के उस रूप को तवज्जो कम मिली।
क्या सौर ऊर्जा से हल हो पाएगा भारत का ऊर्जा संकट?

क्या सौर ऊर्जा से हल हो पाएगा भारत का ऊर्जा संकट?

पेरिस में आयोजित जलवायु सम्मेलन से इतर भारत ने एक बहुचर्चित ‘सौर गठबंधन' की घोषणा कर दी। ऊर्जा की जरुरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा उप्लब्ध करवाने की दिशा में काम करने का यह बडा न्यौता उन 121 देशों के लिए है, जहां सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है। इस परियोजना में सरकार की योजना शुरुआती पूंजी के रुप में 400 करोड रुपए डालने की है।
क्या वाकई थम गई पुरस्कार वापसी मुहिम?

क्या वाकई थम गई पुरस्कार वापसी मुहिम?

बिहार चुनाव के नतीजे आने का बाद सोशल मीडिया पर इन दिनों एक कविता काफी प्रसारित हो रही है। इस कविता में कहा जा रहा है कि अब कहीं से भी गोमांस, सम्मान वापसी, अरहर दाल की बढ़ती कीमतों को लेकर कोई बयान नहीं आ रहा है। यह सवाल खड़ा होता है कि क्या ऐसा सहिष्णुता की वजह से है या ऐसा बिहार का चुनाव खत्म हो जाने की वजह से है। स्पष्ट तौर पर यह आरोप लगता रहा है कि लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों द्वारा जो पुरस्कार लौटाए जा रहे थे वह बिहार चुनावों को प्रभावित करने की एक पूर्वनियोजित साजिश थी। इस संबंध में आरएसएस का मानना है कि पुरस्कार वापसी की मुहीम राजनीतिक ताकतों के हित में बहुत सलीके से संयोजित की गई थी। केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने तो यहां तक कहने में भी गुरेज नहीं किया कि पुरस्कार वापसी के इस मुहिम में बहुत ज्यादा पैसा सम्मिलित था। जो कुछ भी हुआ, यह उसकी पूरी तरह से एक प्रायोजित और विकृत व्याख्या है।
लेखकों ने कैमरन से कहा, भारत में असहिष्णुता बढ़ने का मुद्दा मोदी के समक्ष उठाएं

लेखकों ने कैमरन से कहा, भारत में असहिष्णुता बढ़ने का मुद्दा मोदी के समक्ष उठाएं

सलमान रश्दी सहित 200 से अधिक जानेमाने लेखकों ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से कहा है कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली अपनी बातचीत के दौरान भारत में बढ़ते भय के वातावरण और बढ़ती असहिष्णुता का मुद्दा उठाएं। यह पीईएन इंटरनेशनल की ओर से एक महीने से कम समय में दूसरा एेसा पत्र है।
उर्दू प्रेस में बिहार चुनाव के अहम मुद्दे | शाहीन नजर

उर्दू प्रेस में बिहार चुनाव के अहम मुद्दे | शाहीन नजर

बिहार चुनाव पर आए ताजा सर्वे में भारतीय जनता पार्टी को लालू-नितीश-कांग्रेस के महागठबंधन से आगे दिखाया गया है। समाचारपत्रों और टेलीविजन चैनलों पर इस पर कई प्रकार की प्रतिक्रियाएं आई हैं पर उर्दू अखबार सर्वे के नतीजों से सहमत नहीं हैं।
लोकतंत्र का तकाजा है कि लेखक आवाज उठाएं

लोकतंत्र का तकाजा है कि लेखक आवाज उठाएं

पिछले कई वर्षों से हमारे देश में जो होता रहा है उसने सृजन-समुदाय को लगातार बेचैन किया हैः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और धार्मिक बहुलता, सामाजिक समरसता पर संगठित प्रहार बहुत बढ़ गए हैं। राजनीति, धर्म और बाजार ने मिलकर, अपनी सभी मर्यादाएं छोड़कर, बेहद व्याप्ति अर्जित कर ली है। असहमति की जगह और अवसर सिकुड़ रहे हैं और पचास से अधिक वर्षों के परिपक्व लोकतंत्र में असहमति को देशद्रोही करार दिया जा रहा है।
दाभोलकर, पंसारे  के  बाद  अब कलबुर्गी

दाभोलकर, पंसारे के बाद अब कलबुर्गी

अभी महाराष्ट्र में डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या जहन में ताजा ही थी कि चरमपंथियों ने डॉ. एमएम कलबुर्गी की भी हत्या कर दी और भावित शेट्टी के ट्वीट ने एक और हत्या करने की धमकी दे डाली। आज सोशल मीडिया पर दिनभर इस प्रगतिशील लेखक की हत्या का मुद्दा छाया रहा।
उर्दू में रची हनुमान चालीसा

उर्दू में रची हनुमान चालीसा

एक मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा का उर्दू में भावानुवाद कर देश की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल सामने रखी है। जौनपुर के निवासी आबिद अल्वी ने भाषा (एजेंसी) से बातचीत में कहा मैंने उर्दू शायरी की मुसद्दस विधा में हनुमान चालीसा का भावानुवाद किया है।
उर्दू कवि बशर नवाज का निधन

उर्दू कवि बशर नवाज का निधन

जाने-माने उर्दू कवि, आलोचक एवं वक्ता बशर नवाज का आज औरंगाबाद में निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार थे। हिंदी फिल्म बाजार का बेहद लोकप्रिय गीत ‘करोगे याद’ उन्होंने ही लिखा था।
उर्दू उपन्यासकार अब्दुल्ला हुसैन का निधन

उर्दू उपन्यासकार अब्दुल्ला हुसैन का निधन

पाकिस्तान के जाने माने उर्दू उपन्यासकार अब्दुल्ला हुसैन का लाहौर में निधन हो गया। हुसैन अपनी किताब उदास नस्लें के लिए जाने जाते थे। वह 84 वर्ष के थे।