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हाशिमपुरा कांड में पुलिस विद्रोह का डर दिखा कार्रवाई नहीं की: राय

हाशिमपुरा कांड में पुलिस विद्रोह का डर दिखा कार्रवाई नहीं की: राय

प्रख्यात लेखक और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय ने शनिवार को कहा कि 28 साल पहले मेरठ के हाशिमपुरा में हुए जनसंहार मामले में तत्कालीन सरकार ने पीएसी बल के विद्रोह के डर से समुचित कार्रवाई नहीं की थी और बाद में आई तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने भी पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कोई गंभीर पहल करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश की।
‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

लोगों में आज सफल होने की होड़ तेजी से बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए जानी मानी लेखिका अलका सरावगी ने कहा कि आज बाजार सबके लिए मूल्यबोध के पैमाने बनने के साथ साधन एवं साध्य बन गया है और ऐसे में लेखकों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है।
आधी आबादी की आवाज

आधी आबादी की आवाज

महिलाओं को आवाज उनके विचारों से मिलती है, उनके विचार उनकी भावनाओं से उपजते हैं और भावनाएं जब उफान पर होती है तब एक स्त्री कविता रचती है। दलितों और महिलाओं के संघर्ष को आवाज देने और उनके अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था रमणिका फाउंडेशन और दलित लेखक संघ कविता और कहानी पाठ के कार्यक्रम आयोजित करता रहा है।
शर्मः 25 फीसदी भारतीयों ने कबूला छूआछूत

शर्मः 25 फीसदी भारतीयों ने कबूला छूआछूत

अस्पृश्यता यानी छूआछूत उन्मूलन के 65 साल बाद भी हर चार भारतीयों में एक अपने घरों में किसी न किसी रूप में छूआछूत का पालन करता है। चौंकाने वाला यह तथ्य एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में सामने आया है जिसे यहां दलित बुद्धिजीवियों, लेखकों एवं विद्वानों की एक सम्मेलन में पेश किया गया।
हिंदी व्रत और उर्दू रोजा वालों की हो गई

हिंदी व्रत और उर्दू रोजा वालों की हो गई

हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शायर और फिल्म लेखक जावेद अख्तर ने श्रोताओं से रूबरू होते हुए कई राज जाहिर किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने 1976 तक उन्होंने शायरी शुरू नहीं की थी। उस वक्त वह 31 वर्ष के थे, जबकि इस उम्र में लोग शायरी कर चुके होते हैं। 12 वर्ष की उम्र तक उन्हें सैकड़ों और 15 वर्ष की उम्र तक उन्हें लाख से ज्यादा शेयर याद थे। वह अपने को खुशकिस्मत मानते हैं क्योंकि लखनऊ में अपने ननिहाल में उन्हें अपने मामा मजाज साहब समेत उस दौर के तमाम नामी शायरों का साथ मिला, जिनके साथ वह बच्चों की तरह रहे।
हां मैं सलमान का पापा हूं

हां मैं सलमान का पापा हूं

इंडिया हार्मोनी फाउंडेशन ने दिल्ली में चिश्ती इंडिया हार्मोनी अवॉर्ड के अवसर पर शोले, दीवार जैसी फिल्मों के पटकथा लेखक सलीम खान ने दिल खोल कर बात की। धर्म पर, अपने लेखन पर
फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे पर विवाद

फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे पर विवाद

फिल्म फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे में कई बोल्ड सीन हैं और यह कहानी अपने आप में ही काफी काम वासना से भरपूर है। फिल्म की प्रचार सामग्री पर सबसे ज्यादा आपत्ति उठाई गई है।
पटकथा लेखक बने एआर रहमान

पटकथा लेखक बने एआर रहमान

दो बार अकादमी पुरस्कार जीत चुके संगीतकार एआर रहमान संगीत से इतर एक अलग क्षेत्र में हाथ आजमाने जा रहे हैं। नई चुनौती स्वीकार करते हुए रहमान अपनी खुद की पटकथा पर काम कर रहे हैं।
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