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बैंकों के लिए एनपीए के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई का मंच सज गया है : जेटली

बैंकों के लिए एनपीए के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई का मंच सज गया है : जेटली

बैंकों के बढ़ते डूबे कर्ज (एनपीए) को देश के लिए अगली बड़ी चुनौती करार देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि बैंकों को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अर्थव्यवस्था के वृहद हित में रिण की वसूली करनी चाहिए।
आईएमएफ के अर्थशास्त्री ने कहा, भारत उम्मीद की किरण, पर एनपीए चुनौती

आईएमएफ के अर्थशास्त्री ने कहा, भारत उम्मीद की किरण, पर एनपीए चुनौती

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने आज आर्थिक ताकतों के जटिल जोड़ के बीच भारत को एक उम्मीद की किरण बताया। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रगति के बावजूद सरकारी बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चुनौती है।
आतंक की तरह कर्ज बुरा या अच्छा

आतंक की तरह कर्ज बुरा या अच्छा

भारतीय बैंक दोधारी तलवार पर चल रहे हैं। कर्ज दिए बिना न वे सफल हो सकते हैं और न ही बड़े पैमाने पर उद्योग-व्यापार बढ़ सकते हैं। दूसरी तरफ कर्ज लेकर करोड़ों रुपया हजम कर जाने पर उनकी जिम्मेदारी भी फिक्स हो रही है।
आरबीआई के पुराने मुखिया ने माना, डूबते कर्जों पर नहीं दिया था ध्यान

आरबीआई के पुराने मुखिया ने माना, डूबते कर्जों पर नहीं दिया था ध्यान

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने आज स्वीकार किया कि उनके कार्यकाल के दौरान केंद्रीय बैंक के कुछ कार्यकलापों अथवा निष्क्रियता के कारण फंसे कर्ज की मौजूदा समस्या इतनी बड़ी हुई हो सकती है। उन्होंने माना कि उन्हें उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए था।
वोट बैंकों का एनपीए

वोट बैंकों का एनपीए

आधुनिक लाइफस्टाइल में देश के हर छोटे-बड़े परिवार में बुजुर्गों को एनपीए समझा जाने लगा है
प्रमुख सरकारी बैंकों को 12 हजार करोड़ का तिमाही घाटा

प्रमुख सरकारी बैंकों को 12 हजार करोड़ का तिमाही घाटा

फंसे कर्ज (एनपीए) से बुरी तरह प्रभावित बैंक आफ बड़ौदा, बैंक आफ इंडिया और आईडीबीआई बैंक समेत सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंकों को अब तक का सबसे बड़ा 12,000 करोड़ रुपये का कुल तिमाही नुकसान हुआ जबकि एसबीआई, पीएनबी और केनरा के मुनाफे में भारी गिरावट दर्ज हुई।
सरकारी बैंकों में डूबते कर्ज से जेटली चिंतित

सरकारी बैंकों में डूबते कर्ज से जेटली चिंतित

सरकारी बैंक भारी डूबत कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष तक उनका सकल एनपीए 2.67 लाख करोड़ रुपये था जो पूरे बैंकिंग उद्योग के एनपीए का 86 प्रतिशत बैठता है।
बैंकों में सरकारी हिस्सा घटाने और एनपीए पर जेटली करेंगे चर्चा

बैंकों में सरकारी हिस्सा घटाने और एनपीए पर जेटली करेंगे चर्चा

वित्त मंत्री अरुण जेटली जल्द ही सरकारी बैंकों के साथ बैठक कर उनमें हिस्सेदारी की बिक्री और बढ़ते एनपीए (बट्टे खाते में पड़ा धन) की समस्या पर चर्चा करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए बढ़कर 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, बैंक मुझसे मिलने आ रहे हैं। कुछ बैंक तात्कालिक मुद्दों के संबंध में मुझसे मुलाकात करने आ रहे हैं।
कर्ज़ नहीं वसूल पा रहे हैं सरकारी बैंक

कर्ज़ नहीं वसूल पा रहे हैं सरकारी बैंक

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि मार्च 2014 तक के तीन वर्षों में तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 2.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह जानकारी सरकार ने संसद में दी है।
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