निजी टीवी चैनल आईबीएन-7 पर लाइव बहस के दौरान तकरार मारपीट तक पहुंच गई। रविवार को प्रोग्राम ‘आज का मुद्दा’ में राधे मां और उन पर लगने वाले आरोपों को लेकर चर्चा चल रही थी। इसी दौरान ओमजी महाराज नाम के एक तथाकथित धर्मगुरू ने स्टूडियों में बैठीं दीपा शर्मा नाम की महिला पर व्यक्तिगत टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं। इससे गुस्साई दीपा शर्मा ने ओमजी महाराज को थप्पड़ रसीद कर दिया। फिर क्या था महिला और महाराज के बीच शो के दौरान ही हाथापाई शुरू हो गई। प्रोग्राम के वीडियो में महाराज भी महिला को थप्पड़ मारते हुए दिखाई दे रहे हैं।
दाऊद इब्राहिम के खिलाफ भारत की ओर से गुप्त अभियान चलाए जाने की खबर को लेकर पर सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को ट्वीटर पर देनी पड़ी सफाई। इस मुद्दे पर पर सोशल मीडिया के निशाने पर आ गए थे।
पीटर और इंद्राणी मुखर्जी के न्यूज एक्स चैनल से रूखसत लेने से कुछ दिन पहले न्यूज रूम में घबराहट तारीं थी। भारत के इस पहले उच्च परिभाषा वाले खबरिया चैनल की स्थापना मुखर्जी दंपति ने सिलसिलेवार संदिग्ध सौदों के जरिये की थी। हवा में यह बात गूंज रही थी कि न्यूज एक्स का पैसा खत्म हो गया है और उसका प्रसारण बंद होने वाला है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बालीवुड फिल्म ग्रैन्ड मस्ती के टेलीविजन प्रीमियर पर आज रोक लगा दी और कहा कि फिल्म को असीमित लोक प्रदर्शन के लिए सत्यापित नहीं किया गया था और इसका केबल नेटवर्क नियमन कानून के तहत प्रसारण नहीं हो सकता।
अभिव्यक्ति की आजादी के लिए यह वर्ष नाटकीय रहा है। यह इंडियाज डॉटर पर सेंसरशिप से लेकर श्रेया सिंघल फैसले के उत्साह और फिर गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी को ब्लॉक करने की सरकारी कोशिश के बीच झूलता रहा। हालांकि हर घटना ने अलग-अलग नाराजगी पैदा की मगर सच यही है कि ये सभी जुड़ी हुई हैं। ये सभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को दूर रखने वाले संवैधानिक सुरक्षा उपायों में मौजूद खामियों को बताने वाले चेतावनी संकेत हैं।
भारत में अपने 20 साल पूरे होने के अवसर पर डिस्कवरी चैनल ने देश की कुछ बेहतरीन कहानियों समेत अपने कुछ सबसे शानदार कार्यक्रमों को विशेष रूप से प्रदर्शित करने की योजना बनाई है।
देश में पर्यावरण गंभीर खतरे में है। जन-जंगल-जमीन इस तरह प्रदूषित हो गया है कि साफ हवा और साफ पानी के लाले पड़े हुए हैं। ऐसे में पहले से लचर पर्यावरण कानूनों को मजबूत बनाने के बजाय केंद्र सरकार पर्यावरण कानूनों की समीक्षा के नाम पर पर्यावरण और लोगों के अधिकारों को रहन रखने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए पर्यावरण शब्द का मतलब निवेश का पर्यावरण बन गया है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के स्वरों को पर्याप्त जगह देना ही नहीं बल्कि इन स्वरों का संरक्षण देना भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है। मगर ऐसा लगता है कि हमारी केंद्र सरकार असहमति की छोटी से छोटी आवाज भी नहीं सुनना चाहती। तभी तो उसने देश के तीन बड़े समाचार चैनलों को याकूब मेमन की फांसी के कवरेज पर नोटिस जारी कर दिया है।