ब्रिटेन में यूरोपीय संघ :ईयू: को लेकर हुये एेेतिहासिक जनमत संग्रह में हार के बाद प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने शुक्रवार को अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। ब्रिटेन ने 28 देशों के संगठन यूरोपीय संघ :ईयू: से बाहर निकलने :ब्रेक्जिट: के पक्ष में मतदान किया है। कैमरन ब्रिटेन के ईयू में बने रहने के पक्ष में थे। इस फैसले से जहां एक तरफ वैश्विक बाजारों में उठापटक की स्थिति रही वहीं ईयू से अलग होने के बाद ब्रिटेन में आव्रजन और अन्य मुद्दों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
यूरोपीय संघ (ईयू) के मुद्दे पर 23 जून को होने वाले जनमत संग्रह की समयसीमा निकट आने के साथ ही प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन की सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व को अपने ही सांसदों से खुली चुनौती मिल रही है। बागी सांसदों ने ईयू में ब्रिटेन की सदस्यता के मुद्दे से निपटने को लेकर उनके खिलाफ खुलेआम बोलना शुरू कर दिया है।
देश में मोदी का जादू चल सकता है लेकिन दूर विदेश में उनके नाम पर चुनाव जीतने की एक अदद कोशिश आखिरकार कामयाब नहीं हो पाई। लंदन के मेयर चुनाव में मोदी कार्ड के जरिए चुनाव जीतने की कोशिश को धक्का लगा है। मोदी के नाम पर वोट मांगने वाले कंजरवेटिव उम्मीदवार जैक गोल्डस्मिथ को लेबर पार्टी के सादिक खान के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है। सादिक लंदन के पहले मुस्लिम मेयर होंगे।
लंदन के मेयर के चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार ने लेबर पार्टी के अपने पाकिस्तानी मूल के प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ ब्रिटिश-भारतीय मतदाताओं को लामबंद करने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का सहारा ले रहे हैं।
ब्रिटेन में डेविड कैमरन की कंजरवेटिव पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल गया है। लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रहे कैमरन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी है।
ब्रिटेन के चुनावों की असली कहानी दो समांतर रुझानों की कहानी है। एक रुझान केंद्रीकरण और स्थिरता की तरफ है। दूसरा रुझान विकेंद्रीकरण की ओर है। कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत दिलाने में पहले रुझान का हाथ तो स्पष्ट है लेकिन दूसरे रुझान ने भी उसे उतनी ही ताकत पहुंचाई। स्कॉटलैंड में स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को मिली अपूर्व सफलता, उस तरह की सफलता जैसी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली है, दूसरे रुझान की ताकत का संकेत है। यह विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक संघ यूनाइटेड किंगडम के ढांचे को पुनर्परिभाषित करेगा। इस दूसरे रूझान ने स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की जड़ खोद दी और वेल्स में भी स्थानीय दल प्लेड सिमरू को मिले वोटों ने लेबर पार्टी के ही वोट काटे। जब विकेंद्रीकरण के हामी स्थानीय दलों ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी का जनाधार और एक हद तक वैचारिक आधार भी चुरा लिया तो सत्तारूढ कंजरवेटिव पार्टी को फायदा मिलना ही था।