जदयू के नवनियुक्त अध्यक्ष नीतीश कुमार के आरएसएस मुक्त भारत बयान पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने सोमवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री को यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में आगे बढ़ने के लिए आरएसएस की ही सीढ़ी का इस्तेमाल किया था।
जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संघ मुक्त भारत की आज बात करते हुए लोकतंत्र की रक्षा के लिए गैर भाजपा दलों के एकजुट होने की अपील की। गौरतलब है कि गत लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था।
पठानकोट आतंकी हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी सलविंदर सिंह को संदेह मुक्त घोषित कर दिया है। एनआईए का कहना है कि सिंह के लाई डिटेक्टर टेस्ट और अन्य जांचों में उनके खिलाफ कुछ भी प्रतिकूल नहीं मिला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नया उद्यम शुरू करने वाले स्टार्टअप कारोबारियों के लिए आज कई अहम घोषणाएं की। शनिवार को स्टार्टअप उद्यमियों के पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम ने स्टार्टअप को तीन साल की आयकर छूट के साथ ही उद्यम पूंजी निवेश पर पूंजीगत लाभकर से छूट, इंस्पेक्टर राज मुक्त परिवेश के अलावा वित्तपोषण के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने सहित कई तरह के प्रोत्साहन देने की घोषणा की।
यूनिवर्सल हेल्थकेयर कवरेज के लक्ष्य को हासिल करने के मद्देनजर नैटहेल्थ (हेल्थकेयर फेडरेशन आॅफ इंडिया), देश की शीर्ष स्वास्थ्यरक्षा निकाय, ने स्वास्थ्यरक्षा सेवाओं को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के दायरे से बाहर करने के लिए सरकार के समक्ष पूर्व-बजट सिफारिशों को पेश किया है।
54 वर्षीय सहर नीलोफर पिछले एक साल से रोजाना अपने घर द्वारका से जंतर-मंतर आती हैं। अपना बैनर लगाती हैं और शाम को घर लौट जाती हैं। यहां बैठकर वह प्रधानमंत्री से लेकर अलग-अलग असरदार लोगों को पत्र लिखती हैं। योजना बनाती हैं कि किस प्रकार गालीमुक्त भारत बनाया जा सके। रवानगी में अंग्रेजी भाषा में बात करते हुए नीलोफर कहती हैं ‘ समाज से मां,बहन और बेटी को संबोधित करती गालियां बंद हों।‘ यह महिला इस मुद्दे पर सिंगल वूमन ब्रिगेड की तरह काम कर रही है।
कुपोषण एक ऐसी बीमारी जो कि बच्चों के विकास में बाधक ही नहीं बल्कि समाज के लिए चिंता का विषय है। कुपोषण से मुक्ति की सरकार लाख कोशिशें कर ले लेकिन इससे मुक्ति एक सपना बन गया है। राष्ट्रीय प्रतिष्ठान और सेव द चिल्ड्रेन के लिए किए जा रहे शोध के दौरान पाया गया कि सरकारी आंकड़े कुपोषण को लेकर कुछ और स्थिति बताते हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और होती है।
‘ एक आदमी के लिए सात किलो चावल और दो किलो चना, क्या इससे गरीबी दूर होती है?’ कोंडागांव के नगरी संभाग के गांव उमर का सुखदेव यह सवाल करते हुए रुआंसा हो जाता है। उसकी पत्नी और तीन बच्चे खेत में मजदूरी करने गए हैं। सौ रुपये दिहाड़ी मिलती है और जंगल से मिलने वाली साग-भाजी तो अब पहले जैसी नहीं रही। सुखदेव का कहना है कि वह अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है। लेकिन सरकार ने सिर्फ साइकिल देकर अपनी जिम्मेदारी खत्म कर दी। उसकी छोटी बेटी नौवीं कक्षा में दो बार फेल हो गई थी तो स्कूल वालों ने तीसरी बार एडमिशन देने से इनकार कर दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक फरमान जारी किया कि मध्यान्ह भोजन के साथ-साथ बच्चों को दूध दिया जाए ताकि कुपोषण दूर कर सेहतमंद बनाया जा सके। लेकिन हफ्ते में एक दिन दूध देने से क्या कुपोषण की समस्या दूर हो पाएगी इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि हफ्ते में एक दिन दूध वह भी कई स्कूलों में नहीं मिल रहा है तो कई जगह खराब मिल रहा है।