प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कैशलेस समाज की अवधारणा की पुरजोर वकालत की और कहा कि इस व्यवस्था को अपनाने से पारदर्शिता आएगी और काले धन का प्रभाव कम हो जाएगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने छात्रों को शिक्षा ऋण को लेकर आगाह करते हुए शनिवार को कहा कि उन्हें ठगने वाले स्कूलों के झांसे में नहीं आना चाहिए। ये स्कूल उन्हें कर्ज के बोझ में डुबा देंगे और डिग्री भी ऐसी देंगे जो किसी काम की नहीं होगी।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने गुरुवार को कहा कि दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था, भारत, अच्छे मानसून का पूर्वानुमान साकार होने पर और अधिक तेज गति से वृद्धि दर्ज करेगा।
इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन (ई लेनदेन) में होने वाली धोखाधड़ी से पैदा होने वाली समस्याओं और ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक एक नियामक ढांचा तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है।
भारत को प्राय: वैश्विक अर्थव्यस्था में चमकता बिंदु बताए जाने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को लगता है कि यह कुछ-कुछ अंधों में काना राजा जैसा मामला है। कमजोर वैश्विक आर्थिक हालात के बीच आईएमएफ सहित विभिन्न संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक वृद्धि के लिहाज से चमकते बिंदुओं में से एक करार दिया है। राजन की अगुवाई में रिजर्व बैंक को भी इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उसने देश की वित्तीय प्रणाली को बाहरी झटकों से बचाने के लिए उचित कदम उठाए हैं।
आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले पर जोर देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अब वक्त आ गया है कि राजकोषीय नीति का पुनर्आकलन होना चाहिए।
भारत को अक्सर शोषण और विरोध की भूमि के रूप में चित्रित किये जाने को गलत बताते हुए लेखक एवं किंग्स काॅलेज लंदन में प्रोफेसर सुनील खिलनानी ने कहा है कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था एवं युवा, कुशल मानव संसाधन के साथ आज दुनिया में भारत को कतई नजरंदाज नहीं किया जा सकता जो अपनी प्राचीन परंपरा, सांस्कृतिक विविधता के साथ आर्थिक गतिशीलता बनाये हुए है।
भारत के प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने देश में आ रहे निवेश के परियोजनाओं में बदलने की धीमी रफ्तार पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि इससे मेक इन इंडिया की उम्मीदों पर असर पड़ रहा है। साथ ही देश के प्रमुख उद्योग मंडल ने कहा कि कई जारी परियोजनाओं में मौजूदा धीमी रफ्तार की वजह से भी मेक इन इंडिया को लेकर जाहिर की गई उम्मीदें अपनी चमक खोती जा रही हैं।
थोक मूल्य मुद्रास्फीति में चार महीने से चल रहा तेजी का सिलसिला जनवरी में टूट गया और इस महीने यह घटकर शून्य से 0.9 प्रतिशत नीचे रही। खाद्य उत्पादों, मुख्य तौर पर सब्जियों और दलहन के सस्ते होने से जनवरी में थोक मुद्रास्फीति नरम पड़ी है।