किसी काम को करने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती। चंडीगढ़ की 100 वर्षीय महिला मान कौर ने इसे साबित कर दिया है जिन्होंने वेंकुवर में चल रहे अमेरिकन मास्टर्स गेम्स में शॉटपुट, जेवलिन थ्रो और 100 की दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल किया है।
इसे वक्त की बेरुखी कहें या किस्मत का खेल, लेकिन शंघाई स्पेशल ओलंपिक में देश के लिए फख्र के लम्हे जुटाने वाला एक दिव्यांग एथलीट इन दिनों रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करने को मजबूर है। लखनउ के हामिद ने 2007 में शंघाई में हुए स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में 4 गुणा 100 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल कर देश का सिर गर्व से उंचा कर दिया था। लेकिन अफसोस कि इतनी बड़ी उपलब्धि भी उसकी किस्मत नहीं बदल सकी और आज वह अपने गुजर-बसर के लिए मजदूरी करने को बाध्य है।