पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आगामी दिनों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। संसद की सार्वजनिक लोकलेखा समिति ने 2010 में हुए कॉमनवेल्थ खेलों की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। रिपोर्ट में सिंह के कायर्काल के दौरान पीएमओ के लचर रवैये की आलोचना की गई थी।
किसी काम को करने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती। चंडीगढ़ की 100 वर्षीय महिला मान कौर ने इसे साबित कर दिया है जिन्होंने वेंकुवर में चल रहे अमेरिकन मास्टर्स गेम्स में शॉटपुट, जेवलिन थ्रो और 100 की दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल किया है।
नए खेल राज्यमंत्री विजय गोयल के घर 10, अशोक रोड पर इन दिनों बधाई का तांता लगा हुआ है। मिलने वालों की भीड़ है। इस मौके पर उन्होंने नई खेल नीति, ओलंपिक में संभावनाओं और खेल संबंधी कुछ सवालों के जवाब दिए।
मनमोहन सिंह की ईमानदारी और भलमनसाहत पर कोई प्रश्न नहीं उठाया गया। यह तर्क भी दिया जाता है कि वह राजनीतिज्ञ ही नहीं हैं। उनके वित्त मंत्री रहते शेयर घोटाले जैसे आरोप आने पर सारा कीचड़ नरसिंह राव के सिर पर उलट दिया गया। 2004 से 2014 तक दस वर्ष प्रधानमंत्री रहते हुए सरकार पर घोटालों और भ्रष्टाचार के गंभीरतम आरोप लगे एवं कांग्रेस पतन के गर्त तक पहुंच गई।
इसे वक्त की बेरुखी कहें या किस्मत का खेल, लेकिन शंघाई स्पेशल ओलंपिक में देश के लिए फख्र के लम्हे जुटाने वाला एक दिव्यांग एथलीट इन दिनों रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करने को मजबूर है। लखनउ के हामिद ने 2007 में शंघाई में हुए स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में 4 गुणा 100 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल कर देश का सिर गर्व से उंचा कर दिया था। लेकिन अफसोस कि इतनी बड़ी उपलब्धि भी उसकी किस्मत नहीं बदल सकी और आज वह अपने गुजर-बसर के लिए मजदूरी करने को बाध्य है।