कौम की समस्याओं को सुलझाने के लिए मुसलमानों के दो सबसे प्रभावशाली और परस्पर विरोधी माने जाने वाले देवबंदी और बरेलवी मसलकों के लोगों को एक मंच पर लाकर आतंकवाद के आरोप में मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी और मुसलमानों से जुड़ी अन्य तमाम समस्याओं को सुलझाने के लिए न्यूनतम साझा एजेंडा बनाने की पहल की गई है।
पंजाबी फिल्म द ब्लड स्ट्रीट को सेंसर बोर्ड का प्रमाण पत्र न मिलने के कारण यह फिल्म भारत में रिलीज नहीं हो पा रही है। इससे पहले कौम दे हीरे भी ऐसी स्थिति झेल चुकी है। ज्यादा तर पंजाबी फिल्मों की पृष्ठभूमि 84 के दंगे या उसके बाद की स्थितियों पर ही बन रही हैं।