देश भर में जोर-शोर से चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के बीच मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के बाढ़ गांव के 45 परिवार सरकार से पूछ रहे हैं कि मेरे शौचालय कहां है? निर्मल भारत अभियान के वेबसाइट पर उनके घरों में शौचालय बन चुके हैं, पर वे सभी आज भी खुले में शौच जाने के मजबूर हैं। उनके घरों में शौचालय ही नहीं है। वे अपने गायब शौचालय के लिए लगातार आवेदन दे रहे हैं, पर उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है।
देसी पान का पेशा धीरे-धीरे ख़त्म होने की कगार पर है। पान की खेती के लिए मशहूर मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में देसी पान की खेती आखिरी सांसे गिन रही है। पच्चीस वर्ष पहले की तुलना में आज महज पांच फीसदी लोग ही पान की खेती कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के विवादास्पद सांसद साक्षी महाराज ने अपनी पार्टी के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। एक बयान में उन्होंने दिल्ली को कांग्रेस मुक्त करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) का शुक्रिया अदा किया है।
उत्तराखंड में बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा ने बड़ा प्रदर्शन किया। बिंदुखत्ता नैनीताल जिले का एक गांव है। इसकी आबादी पच्चीस हजार से ज्यादा है।
देश के गांवों को पत्रकारिता के केंद्र में लाने के लिए मशहूर पत्रकार पी. साइनाथ ने एक पहल की है। उन्होंने ग्रामीण पत्रकारिता के अपने वर्षों के अनुभव के बाद एक वेबसाइट शुरू की है। वेबसाइट का नाम है- परी (पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया) यानी ग्रामीण भारत का जन संग्रहालय। इस वेबसाइट का वेब पता है- http://www.ruralindiaonline.org/
ललित मोदी ने लीक से हटकर क्रिकेट से मोटा मुनाफा कमाने की ख्वाहिश में ट्वेंटी-20 लीग टूर्नामेंट की ऐसी तान छेड़ी कि देश के हर खेलों के लीग टूर्नामेंट के लिए क्या हर छोटे-बड़े उद्योगपति, राजनेता और खिलाड़ी बढ़-चढक़र हिस्सा लेने लग गए।
हम गांव की चिंता में भटकते राहुल की चल और अचल तस्वीरें देखते हैं लेकिन अभी जानते कि गांवों को खुशहाल बनाने की उनकी नीतियां क्या हैं और वह इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाने वाले हैं। हम गरीबों से राहुल के मेलजोल की कोशिशों के बाबत पढ़ते हैं और भरोसा करने को तैयार हैं कि वह उनकी हालत बिना किसी बिचौलिए के जानने चाहते हैं जिस देश में गरीबों के लिए बनी योजनाओं का लाभ अक्सर फर्जी गरीब उठा लेते हैं वहां अब हम जानना चाहते हैं कि राहुल सही गरीबों की शिनाख्त का कौन सा बेहतर तरीका अपनाएंगे। हम जानते हैं क अपने पिता राजीव गांधी की तरह राहुल गांधी भी चिंतित हैं कि गरीबों के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रत्येक रुपये में सिर्फ 15 पैसे उन तक पहुंचते हैं लेकिन हमारी अब यह जानने की भी अपेक्षा है कि विचौलियों द्वारा चट हो रहे बाकी के 85 पैसे राहुल गरीबों तक कैसे पहुंचाएंगे। हम जानते हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना को राहुल गांधी अपनी यूपीए सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं और उसे पूरे देश में फैलाना चाहते हैं, शहरों मे भी, लेकिन हम यह भी जानना चाहते हैं कि वह इस योजना में व्यापक धांधली कैसे रोकेंगे, कैसे सुनिश्चित करेंगे कि सही लोगों को जॉब कार्ड मिले, काम पर आए मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिल पाए और इस योजना के जरिये गांवों में पक्के आधारभूत ढांचे भी बन पाएं।