सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर की सैलरी में करीब तिगुना बढ़ोत्तरी की है। अब आरबीआई के गवर्नर की बेसिक सैलरी 2.50 लाख रुपये हो गई है, वहीं डिप्टी गवर्नर को 2.25 लाख रुपये मिलेंगे। इन्हें बढ़ी हुई सैलरी एक जनवरी 2016 से मिलेगी।
लोक लेखा समिति (पीएसी) ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल से पूछा है कि शक्तियों का गलत उपयोग करने के लिए क्यों न आप पर मुकदमा चलाया जाए और आपको पद से हटा दिया जाए। नोटबंदी पर जवाब देने के लिए 20 जनवरी को आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल समेत अन्य अफसरों को तलब किया गया है। समिति ने पटेल को 10 सवालों की एक प्रश्नावली भेजी थी।
सरकार ने न्यूयार्क विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और अपने आप को गरीब व्यक्ति का रघुराम राजन कहने वाले विराल वी. आचार्य को रिजर्व बैंक का नया डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया है।
बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाए रखा। बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकती है ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके।
मौद्रिक नीति पर विचार के लिए छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक कल शुरू होगी। नोटबंदी के प्रभाव को कम करने के लिए नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की व्यापक उम्मीद के बीच यह बैठक हो रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल का वेतन दो लाख रुपये से कुछ ही ज्यादा है और उन्हें घर पर कोई सहायक कर्मचारी भी नहीं दिए गए हैं। यह जानकारी केंद्रीय बैंक ने सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दी।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने नोटबंदी के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आज कहा कि केंद्रीय बैंक पुराने बड़े मूल्य के नोटों पर पाबंदी से उत्पन्न स्थिति की दैनिक आधार पर समीक्षा कर रहा और नागरिकों की वास्तविक तकलीफ को दूर करने के लिए हर जरूरी कदम उठा रहा है।
रिजर्व बैंक के नये गवर्नर उर्जित पटेल के नेतृत्व में हुई पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में आज नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की बहुप्रतीक्षित कटौती कर दी गई। नवगठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के तहत हुई इस पहली समीक्षा में समिति के सभी छह सदस्य दरों में कटौती के पक्ष में रहे। इस कटौती के बाद आरबीआई की रेपो दर 6.25 प्रतिशत रह गयी है जो पिछले छह साल का इसका न्यूनतम स्तर है।