प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौर के दिन ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लंबी मुलाकात कर भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने राज्य की राजनीति में खलबली मचा दी है।
केंद्र सरकार ने लंबे इंतजार के बाद सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) 2011 के कुछ आंकड़े जारी किए हैं। हालांकि, जाति से जुड़े आंकड़ों का अभी भी खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन ग्रामीण भारत से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इनमें से कुछ आंकड़े काफी विवादस्पद नजर आते हैं। नतीजों को सार्वजनिक करने में देरी और आपत्तियों की सुनवाई को लेकर यह जनगणना पहले ही सवालों से घिरी है। जानिए देश के 640 जिलों में हुई सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना ग्रामीण भारत की कैसी तस्वीर पेश करती है-
समाज बदल रहा है या विज्ञापन। शायद दोनों ही। लेकिन विज्ञापनों की दुनिया तेजी से बदल रही है। जिन मुद्दों पर हम बात करने से कतराते हैं, उन पर भी अब विज्ञापन बनाए जा रहे हैं। बेशक यह छोटा माध्यम है लेकिन इनका भी असर तो पड़ता ही है।
केंद्र की मोदी सरकार अगर कारोबार को बढ़ावा देने के नाम पर श्रम कानूनों में बदलाव के अपने एजेंडे पर अड़ी रहती है तो देश की मजदूर यूनियनें इसके खिलाफ हड़ताल पर जाने से नहीं हिचकेंगी। इसमें भाजपा से जुड़ी श्रमिक यूनियनें भी शामिल होंगी। इस बारे में कोई भी फैसला 26 मई को लिए जाने की उम्मीद है।
अल्ट्राटेक सीमेंट का विज्ञापन दिखाना चाहता है कि उनकी सीमेंट से कैसी खूबसूरत इमारतें बनती हैं। इस खूबसूरती को दिखाने के लिए लगता है इस उत्पाद के विज्ञापन बनाने वालों को लगा होगा कि केवल खूबसूरत लोग ही खूबसूरत चीजें बना सकते हैं। खूबसूरती का अतिरेक दिखाता यह विज्ञापन मजदूरों का एक तरह से अपमान है
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि विदेशों में उत्तर कोरिया के तकरीबन बीस हजार बंधुआ मजदूर हैं और उनमें से ज्यादातर चीन और रूस में हैं जबकि उत्तर कोरिया ने रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण करार दिया है।
कामकाजी महिलाओं में सबसे खराब स्थितियां मजदूर वर्ग की महिलाओं की हैं। उनके लिए न तो क्रेच व्यवस्था है और न वे मजदूरी के समय से समय निकाल अपने नवजात बच्चों को दूध पिला सकती हैं। कुपोषण के शिकार इनके बच्चों का सही विकास तक नहीं हो पाता है। बच्चे को दूध न पिला सकने का ऐसा ही एक मामला तेलंगाना में सामने आया है जिसमें ऐसा होने पर बच्चे की मौत हो गई है।