दुनिया के सबसे बड़े कम्युनिस्ट देश चीन के अरबपति वांग जियानलिन ने पूंजीवादी अमेरिका के समृद्धों को पीछे छोड़ दिया है। जियानलिन अकेले नहीं हैं, चीन में अरबपतियों की संख्या बढ़ती गई है। इसी तरह भारत के संपन्नतम मुकेश अंबानी भी ताजा अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में विश्व के संपन्न व्यक्तियों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं। चीन और भारत में गरीबी और आर्थिक समस्याओं के बावजूद अरबपतियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
असम में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और असम गण परिषद के बीच गठबंधन हो गया। दोनों ही पार्टियां राज्य में साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी। इस बात की जानकारी असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असम गण परिषद के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत ने भजपा अध्यक्ष अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात के बाद दी।
प्रख्यात लेखिका डॉक्टर सुनीता जैन के काव्य संग्रह क्षमा को साल 2015 के प्रतिष्ठित व्यास सम्मान के लिए चुना गया है। उनके इस कविता संग्रह का प्रकाशन साल 2008 में हुआ था।
अमेरिका के अधिकारियों का दावा है कि दक्षिण चीन सागर में जिस विवादित द्वीप पर चीन ने सतह से हवा में मार कर सकने वाली मिसाइलें तैनात की थीं, उसी पर उसने (चीन ने) लड़ाकू विमानों को भी तैनात कर दिया है। दो अज्ञात अमेरिकी अधिकारियों का हवाला देते हुए फॉक्स न्यूज ने कहा कि अमेरिकी खुफिया सेवाओं ने पिछले कुछ दिनों में विवादित पारसेल द्वीपों में से वूडी द्वीप पर चीनी शेनयांग जे-11 और शियान जेएच-7 युद्धक विमानों को देखा है।
देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद कन्हैया की जमानत पर सुनवाई कर रहे दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को कल तक मामले की जांच की स्थिति रिपोर्ट अदालत में दायर करने को कहा है। अदालत में दिल्ली पुलिस ने कन्हैया की जमानत का विरोध किया।
चीन ने विवादित दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में लंबी दूरी की विमानरोधी मिसाइलें तैनात की हैं लेकिन मीडिया की इन खबरों को कम्युनिस्ट राष्ट्र चीन ने पश्चिमी खबरिया संस्थानों की खबरें गढ़ने की कोशिश करार देते हुए तवज्जो नहीं दिया है।
भारत जल्द ही दक्षिणी वियतनाम में एक सेटेलाइट ट्रैकिंग और इमेजिंग केंद्र स्थापित करेगा जिससे भारतीय भू-निगरानी उपग्रह से हनोई तक की तस्वीर ली जा सकेगी और चीन तथा दक्षिणी चीन सागर तक की गतिविधियों पर निगाह रखी जा सकेगी।
पूर्वोत्तर के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि असम एक ऐसा राज्य है, जहां अस्थिरता रही है। 70 के दशक में वहां भारी हंगामा रहा और 80 का दशक आते-आते हंगामा बढ़ता रहा। उसके समाधान के लिए, वहां लोकतंत्र लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जो कदम उठाए वह आज तक किसी ने नहीं उठाए। सन 1985 में वहां हंगामा करने वालों की जीत हुई थी, उन्होंने सरकार चलाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने असम को बरबाद करके छोड़ दिया। उनमें हुकूमत बनाए रखने की क्षमता नहीं थी। लेकिन यह लोकतंत्र है, यहां जो जनता चाहेगी उसी की सरकार बनेगी। बेहतर प्रदर्शन के आधार पर वोट मिलेंगे। आखिरकार जनता ने सही सरकार चुनी।